इस्लामाबाद : आतंकवाद पर नियंत्रण न लगा पाने के कारण लगातार फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में शामिल होने का खतरा झेल रहे पाकिस्तान के कोर्ट ने एक मामले में मुंबई हमलों के गुनहगार आतंकी हाफिज सईद को 31 साल कारावास की सजा सुनाई है। पाकिस्तानी अदालत ने दो मामलों में यह सजा सुनाई है। भारत सरकार के अनुसार हाफ़िज 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों में मारे गए 166 लोगों की मौत का गुनहगार है।
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा का मुखिया हाफिज सईद भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए वांछित रहा है। जमात-उद-दावा दरअसल आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है, जो 2008 के मुंबई हमलों का जिम्मेदार है। मुंबई हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और हाफिज सईद को इन मौतों का गुनहगार माना जाता है। अब पाकिस्तान की आतंकरोधी अदालत ने हाफिज सईद को दो मामलों में कुल 31 साल कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने हाफिज सईद की सभी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश भी पाकिस्तान सरकार को दिया है। इससे पहले वर्ष 2020 के फरवरी माह में अदालत ने हाफिज सईद को आतंकियों को धन मुहैया कराने (टेरर फंडिंग) के लिए दोषी करार दिया था। तब पाकिस्तान की आतंकरोधी अदालत ने दो अलग-अलग मामलों में हाफिज सईद को साढ़े पांच साल की सजा सुनाई थी। साथ ही उस पर दोनों मामलों में पंद्रह हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
माना जा रहा है कि हाफिज सईद को 31 साल कारावास का यह फैसला उस समय आया है, जब पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ओर से काली सूची में शामिल किए जाने का खतरा मंडरा रहा है। पहले ही डूबती अर्थव्यवस्था से परेशान पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक चुनौतियों से निपटना दुष्कर हो जाएगा।