आजाद भारत के बड़े फैसलों की गवाह रही है संसद : खड़गे

नयी दिल्ली : राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमारी संसद विगत 75 वर्षों में जो देश में बड़े फैसले हुए हैं, उसकी गवाह रही है।

खड़गे ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान राज्यसभा में ”75 वर्ष की संसदीय यात्रा” विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी संसदीय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बाबा साहेब, पंडित नेहरू और सरदार पटेल सहित अन्य महापुरुषों ने अहम् भूमिका निभाई है। हमें उनके योगदान को हमेशा याद रखना होगा। इन महापुरुषों ने हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया है।

खड़गे ने अपने शुरुआती संबोधन में सभापति से अनुरोध किया कि आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा को सदन में वापस बुला लें। खड़गे ने कहा कि आज हम अहम् विषय पर चर्चा कर रहे हैं, इसलिए उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका दें।

खड़गे ने अपने भाषण की शुरुआत में केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ”बदलना है तो अब हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है?, देना है तो युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके क्या होता है?, दिल को थोड़ा बड़ा करके देखो, लोगों को मारने से क्या होता है?, कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो, बात-बात पर डराने से क्या होता है?, अपनी हुक्मरानी पर तुम्हें गुरूर है, लोगों को डराने-धमकाने से क्या होता है?”

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खड़गे ने पंडित नेहरू की पहली कैबिनेट का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने बाबा साहेब और श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित पांच ऐसे लोगों को अपनी कैबिनेट में जगह दी, जो समान विचार के लोग नहीं थे। लेकिन आज के समय में सत्ता पक्ष विपक्ष को देखना तक नहीं चाहती है।

खड़गे ने कहा कि नेहरू ने कहा था कि देश में मजबूत विपक्ष का होना बहुत जरूरी है। मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का अर्थ है कि व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां हैं। लेकिन वर्तमान सरकार लगातार विपक्ष को कमजोर कर रही है। विपक्षी नेताओं को जांच एजेंसियों से डराया जा रहा है।

खड़गे ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान दिया है, उसने हमें आज भी एकजुट कर रखा है। इसी संविधान ने राष्ट्र के लिए एक सशक्त ढांचा तैयार किया है। भारतीय संविधान हमारा सबसे बड़ा मार्गदर्शक है।

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