कोलकाता : प्राथमिक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर मामले से राहत पाने के लिए तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नेता कुंतल घोष और पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कोर्ट में आवेदन दिया है। इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और चार्ज तय करने की प्रक्रिया चल रही है। शुक्रवार को इन दोनों के साथ कुल 11 आरोपितों ने मामले से खुद को अलग करने की मांग की है, जिनमें कुछ कंपनियां भी शामिल हैं।
कुंतल घोष के वकील ने शुक्रवार को विशेष सीबीआई कोर्ट में ईडी के आरोपों को खारिज करते हुए कई गंभीर सवाल उठाए। वकील ने बताया कि जब कुंतल को गिरफ्तार किया गया था, तब उनके बैंक खाते में सिर्फ तीन लाख रुपये थे। लेकिन ईडी का दावा है कि उनके खाते में 99 लाख रुपये हैं। वकील ने पूछा कि गिरफ्तारी के बाद कुंतल की हिरासत के दौरान उनके खाते में 96 लाख रुपये कहां से और कैसे आए?
इसके अलावा, वकील ने कहा कि ईडी ने जिन नौकरी के उम्मीदवारों से पैसे लेने का आरोप लगाया है, उनके बयान दर्ज किए गए या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। वकील ने यह भी दावा किया कि ईडी ने पहले कुंतल पर 30 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया था, जिसे बाद में घटाकर चार करोड़ रुपये कर दिया गया। यह बदलाव कैसे संभव है?
कुंतल के वकील ने यह भी कहा कि 2012-2014 के बीच जिन भर्ती घोटालों की बात की जा रही है, उस समय कुंतल किसी भी पद पर नहीं थे। इसके बावजूद उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। वकील ने ईडी पर उनकी पत्नी की संपत्ति को भी गलत तरीके से जब्त करने का आरोप लगाया।
पार्थ चटर्जी के वकील ने भी ईडी पर लगाए आरोप
पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की ओर से भी ईडी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि ईडी के चार्जशीट में पार्थ का नाम शामिल नहीं है और हाई कोर्ट के निर्देश में भी उनके खिलाफ कोई स्पष्ट आरोप नहीं है।
पार्थ के वकील ने कहा कि ईडी ने जिन संपत्तियों को ‘भ्रष्टाचार का परिणाम’ बताया है, उनका कोई भी सीधा संबंध प्राथमिक भर्ती घोटाले से नहीं है। पार्थ ने यह भी बताया कि 2001 से वह विधायक रहे हैं और 2022 में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। लेकिन ईडी ने राज्य सरकार से अनुमति लिए बिना उन्हें आरोपित बना दिया।
अदालती प्रक्रिया में नई जटिलताएं
कुंतल और पार्थ के वकीलों द्वारा लगाए गए आरोपों और दायर की गई याचिकाओं ने इस मामले में नई जटिलताएं पैदा कर दी हैं। ईडी ने अब तक पांच गवाहों को पेश किया है, जिनमें से दो ने अपने बयान दर्ज कराए हैं। इनमें से एक ने पार्थ को पहचानने से भी इनकार कर दिया है।
पार्थ ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा परिषद एक स्वतंत्र संस्था है और वह शिक्षा मंत्री रहते हुए भी इसके कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करते थे। उन्होंने दावा किया कि ईडी अब तक यह साबित नहीं कर पाया है कि उनकी संपत्ति भर्ती घोटाले की आय से खरीदी गई है।