◆ कोलकाता में श्री प्रकाशन द्वारा भव्य पुस्तक लोकार्पण एवं काव्य संध्या का आयोजन
कोलकाता : साहित्य जगत में युवा पीढ़ी की सहभागिता एक नए युग की शुरुआत के समान है। यह विचार राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने व्यक्त किए। वे श्री प्रकाशन द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण एवं काव्य पाठ समारोह में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
उन्होंने इस अवसर पर अपनी कविता भी प्रस्तुत की और राजस्थानी साहित्य पर अपने विचार साझा किए।
मुम्बई से आईं सुप्रसिद्ध गायिका, कवियत्री एवं गीतकार ज्योति कुंदर ने काव्य सृजन में संवेदना की अनिवार्यता पर जोर दिया और मेल-मिलाप की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘दास्तान-ए-राजभाषा’ , साथ ही, उनके लोकप्रिय गीत “हमें मालूम न था” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने हिन्दी, मराठी, राजस्थानी और भोजपुरी फिल्मों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है, जिसमें मुख्य रूप से ” औलाद के दुश्मन, सबसे बड़ा खिलाड़ी, कौन सच्चा कौन झूठा, सनम हरजाई जैसी कई हिन्दी फ़िल्में और भोजपुरी फ़िल्में शामिल हैं , विदित हो कि उनका गीत “दिल की बातें” यूट्यूब पर अत्यंत लोकप्रिय हुआ है, जिसे उन्होंने स्वयं लिखा, संगीतबद्ध किया और गाया भी है। हिंदी, मराठी, राजस्थानी और भोजपुरी फिल्मों में अपनी सुरीली आवाज़ बिखेर चुकीं ज्योति जी ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी अर्जित किए हैं। उनके लिखे दो गीतों को पद्मश्री शंकर महादेवन ने स्वरबद्ध किया और गाया है, जिन्हें भारत सरकार के सुगम्य भारत अभियान के अंतर्गत स्वीकृति प्रदान की गई है।
काव्य संध्या में युवा कवियों की सशक्त अभिव्यक्ति
इस साहित्यिक महोत्सव में युवा कवियों ने अपनी ओजस्वी प्रस्तुतियों से सभी को प्रभावित किया। आतिश कुमार राम ने अपनी सारगर्भित कविता के माध्यम से यह संदेश दिया कि राम को जानने के लिए पहले स्वयं राम बनना होगा। वहीं, आलोक चौधरी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर एक प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत किया। राधाकांत सिन्हा ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से वर्तमान सामाजिक विघटन पर प्रकाश डाला, जबकि नवीन कुमार सिंह ने अपनी कविता “गीत लिखूँगा ” से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। अमित कुमार अम्बष्ट ने गांव से शहर की ओर भागती जिंदगी की उलझनों को उजागर किया।
डॉ. ब्रज मोहन सिंह ने कविता शक्ति को तलवार से भी अधिक तीक्ष्ण बताते हुए कहा यही कारण है कि इसे हमेशा नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता रहा है। सौरभ मिश्रा ने “जोगिरा सरर” के माध्यम से अखंड भारत की भावना को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया, जबकि वनिता ने “माँ कभी बूढ़ी नहीं होती” कविता से श्रोताओं को भावुक कर दिया। काली प्रसाद दुबेला ने सुनीता विलियम्स की वापसी पर दो पंक्तियां सुनाते हुए धैर्य पर बल दिया।
पुस्तकों का लोकार्पण और सम्मान समारोह
इस गरिमामयी अवसर पर हिंगलाज दान रतनू के करकमलों द्वारा पाँच महत्वपूर्ण पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न हुआ। इनमें ज्योति कुंदर की “मन की रेत”, ” प्रथमा” तथा वनिता वसंत झारखंडी की “बाहर धूप”, एवं भोपाल की रेकी मास्टर किरण दाते की “स्पर्श किरण” तथा “रेकी बदलती है दुनिया” शामिल रहीं।
गत दो दशकों से साहित्य सेवा में संलग्न श्री प्रकाशन ने विभिन्न भाषाओं में पुस्तक प्रकाशन के माध्यम से साहित्यिक जगत में अपनी विशेष पहचान बनाई है। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजस्थान सूचना केंद्र कोलकाता तथा वरिष्ठ पत्रकार विश्वंभर नेवर का विशेष सहयोग रहा। इस आयोजन को सफल बनाने में सी.एस. रुचिरा झारखंडी, शामल कुंदर एवं पूजा का महत्वपूर्ण सहयोग मिला।