ममता की जीवनी में व्यक्तिगत हमले, सांसद काकली घोष दस्तीदार का भी नाम घसीटा गया

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लिखी गई एक किताब को लेकर राजनीतिक हलकों में नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि इस किताब में न सिर्फ ममता बनर्जी के निजी जीवन को लेकर आपत्तिजनक बातें कही गई हैं, बल्कि बारासात से तृणमूल सांसद डॉ. काकली घोष दस्तीदार और उनके पति को लेकर भी भ्रामक और अपमानजनक बातें लिखी गई हैं। इस पर अब सांसद के बेटे डॉ. बैद्यनाथ घोष दस्तीदार ने कानूनी लड़ाई का ऐलान किया है। उनका कहना है कि वे कलकत्ता हाई कोर्ट में किताब के लेखक और इससे जुड़े भाजपा नेताओं के खिलाफ मानहानि की याचिका दायर करेंगे।

दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा के युवा नेता कौस्तव बागची ने ‘ममता बनर्जी के जैसा मैंने देखा’ नाम की किताब को सार्वजनिक किया और इस पर सोशल मीडिया पर कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं। इसके बाद भाजपा के अन्य नेताओं ने भी इस किताब को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। अब बैद्यनाथ घोष दस्तीदार का आरोप है कि यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया गया है।

डॉ. बैद्यनाथ, जो पेशे से खुद भी डॉक्टर हैं, का कहना है कि किताब में कई तथ्य तोड़-मरोड़कर पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि लेखक ने जो बातें लिखी हैं, वे पूरी तरह से मानहानिकारक हैं। मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के बारे में कुछ भी लिखने से पहले जिम्मेदारी समझनी चाहिए। किताब में मेरे माता-पिता का नाम भले सीधे तौर पर नहीं लिया गया हो, लेकिन जिस अंदाज़ में बातें कही गई हैं, उससे साफ है कि निशाना वही लोग हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि संविधान के तहत मुख्यमंत्री और सांसद जैसे जनप्रतिनिधियों को कुछ विशेष संरक्षण हासिल है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मैं वकील नहीं हूं, लेकिन कानून की थोड़ी बहुत समझ है। हम इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में रिट पिटिशन दाखिल कर रहे हैं ताकि इस किताब में जो बातें लिखी गई हैं, उन्हें लेकर आगे किसी भी मंच पर चर्चा या प्रचार न हो सके।

डॉ. बैद्यनाथ ने यह भी बताया कि उनकी याचिका सिर्फ कौस्तव बागची के खिलाफ नहीं होगी, बल्कि शुभेंदु अधिकारी समेत उन सभी भाजपा नेताओं के खिलाफ होगी जिन्होंने इस अभियान में हिस्सा लिया और मुख्यमंत्री के खिलाफ ‘निजी हमले’ किए। उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई के लिए वे पूरी तैयारी के साथ कोर्ट का रुख करेंगे।

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