कोलकाता : पितृ दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय के तत्वावधान में वरिष्ठ कवि हीरा लाल जायसवाल की अध्यक्षता में एक अंतरंग काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की शुरुआत विवेक तिवारी की सरस्वती वंदना और स्वागत वक्तव्य से हुआ। इस मौके पर सभी रचनाकारों ने पिता पर केन्द्रित सभी रसों की कविताओं की धारा प्रवाहित कर खूब वाहवाही लूटी। इनमें कोलकाता के वरिष्ठ गजलकारों में नंदलाल रौशन, रंजीत भारती, रणविजय कुमार श्रीवास्तव, रामनाथ बेखबर, जतिब हयाल, पुकार गाजीपुरी, वरिष्ठ कवि चंद्रिका प्रसाद पाण्डेय अनुरागी, आलोक चौधरी एवं प्रो. परमजीत कुमार पंडित प्रमुख रहे। गोष्ठी का कुशल संचालन विवेक तिवारी ने किया। अपने वक्तव्य में मुख्य वक्ता प्रो. डॉ. कमल कुमार ने कहा कि पिता का प्रेम दिखाई नहीं देता, वह ईश्वर की तरह होता है। आज की गोष्ठी में पढ़ी गई सभी कविताओं और ग़ज़लों में पिता के जीवन संघर्ष और परिवार की चिंता झलकती है। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि हीरालाल ने इस गोष्ठी के सफल आयोजन पर खुशी व्यक्त करते हुए ऐसे अंतरंग काव्य गोष्ठी आयोजन करने पर बल दिया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन काव्य गोष्ठी के संयोजक एवं पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी ने दिया। इस काव्य गोष्ठी में राजकुमार शर्मा, राकेश पांडेय सहित अनेक गण्यमान्य सुधीजन उपस्थित रहे।