चुनाव के बाद हिंसा मामला : सीबीआई की चार्जशीट में नेताओं का नाम आते ही निदान के रास्ते तलाशने में जुटी तृणमूल

CBI

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा से जुड़ी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक पूरक चार्जशीट में तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक और दो कोलकाता नगर निगम पार्षदों के नाम सामने आने के बाद पार्टी ने इस कार्रवाई को चुनौती देने के लिए दोतरफा रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है – एक कानूनी मोर्चे पर और दूसरी राजनीतिक रूप से जवाब देने के लिए।

सीबीआई द्वारा दाखिल की गई इस नई पूरक चार्जशीट में बेलियाघाटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक परेश पाल, कोलकाता नगर निगम के वार्ड संख्या 58 के पार्षद और मेयर-इन-काउंसिल के सदस्य स्वपन समद्दार तथा वार्ड संख्या 30 की पार्षद पापिया घोष को आरोपित बनाया गया है।

राज्य मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि इन तीनों नेताओं के नाम चार्जशीट में सामने आने के तुरंत बाद उन्होंने पार्टी नेतृत्व से संपर्क कर मार्गदर्शन मांगा। उनके मुताबिक, “हमारे कानूनी विशेषज्ञ इस पर विचार कर रहे हैं कि कोलकाता की विशेष अदालत में कैसे इस मामले को चुनौती दी जा सकती है। साथ ही राजनीतिक स्तर पर यह संदेश देने की रणनीति बनाई जा रही है कि यह सब बदले की भावना से किया जा रहा है।”

बताया जा रहा है कि सबसे पहला कानूनी विकल्प यह होगा कि तीनों नेता विशेष अदालत में याचिका दायर कर अपने नाम आरोपितों की सूची से हटाने की मांग करें। इसके लिए पार्टी के कानूनी सलाहकार परिस्थितियों का आकलन कर रहे हैं और हरी झंडी मिलते ही संबंधित याचिका दाखिल की जाएगी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया के तहत तृणमूल कांग्रेस यह सवाल उठा रही है कि परेश पाल, स्वपन समद्दार और पापिया घोष के नाम अब, विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीनों पहले, क्यों जोड़े गए? मंत्रिमंडल सदस्य ने कहा, “परेश पाल उम्र के लिहाज से सत्तर के पार हैं और कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। वे विधानसभा सत्र में भी भाग नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में चार्जशीट में उनका नाम जोड़ना स्पष्ट रूप से नेताओं को डराने और चुनाव से पहले दबाव बनाने की कोशिश है।”

स्वपन समद्दार ने भी पुष्टि की है कि इस मामले में उनका आगे का हर कदम पार्टी नेतृत्व और कानूनी सलाहकारों की राय के अनुसार ही तय किया जाएगा।

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