कोलकाता : त्रेता युग में भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु के आदेश से स्वर्ग से उतरी माँ गंगा ने हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हुए पश्चिम बंगाल आकर जिस तट पर अभिशप्त राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष दिया था और सागर में समा गई थीं, उसी गंगासागर तट पर मकर संक्रांति की उसी पुण्यतिथि पर पुण्य स्नान के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है।
दक्षिण 24 परगना के इस पुण्य गंगासागर तक पर पहुंचने से पहले श्रद्धालु कोलकाता के बाबू घाट में स्थित विशाल मैदान में बने सागर कैंप में आखरी डेरा डालते हैं। यहां भीड़ जुटने लगी है। शनिवार सुबह आउट्रामघाट पर पहुंचते ही लोगों का भारी हुजूम चारों ओर नजर आता है। कहीं महिलाएं सुबह-सुबह एक कैंप से दूसरे कैंप में भोजन आदि के लिए जा रही हैं तो कहीं भारी संख्या में पुरुष साधु, संन्यासियों द्वारा लगाई गई आग की बड़ी अलाव के सामने बैठकर भगवत चर्चा कर रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में साधु सन्यासी पहुंचे हैं। कोई नाथ संप्रदाय से है तो कोई नागा साधु है, कोई आदि गुरु से दीक्षित है तो कोई शंकराचार्य परंपरा का हिस्सा।
बाबूघाट मैदान पर साधुओं की अलग-अलग अस्थाई कुटी बनी हुई है और उसके बाहर आग की अलाव लगी हुई है। प्रशासन द्वारा यहां सूखी हुई लकड़ियों को उपलब्ध कराया जाता है जिसे जलाकर यहां पहुंचे साधु ठंड से राहत पाते हैं। यहां उमड़े इन साधुओं को देखने के लिए भी लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। खासकर नागा साधुओं को देखने के लिए लोग पहुंचते हैं जो बिना कपड़ों के रहते हैं और कड़ाके की ठंड के बावजूद सामान्य तरीके से दिनचर्या व्यतीत करते हैं।
यहां आने वाले लाखों लोगों के भोजन, रहने एवं चिकित्सा आदि की व्यवस्था करने के लिए सैकड़ों सामाजिक संगठन कैंप लगाते हैं और लोगों को मुफ्त में सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि गंगासागर की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। कोलकाता में बने अस्थाई कैंप से लेकर गंगासागर तक पुलिस द्वारा पुण्यार्थियों के बीच मास्क का वितरण किया जा रहा है। एक दिन पहले ही दो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके बाद से चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि सावधानी बरतते हुए बड़े पैमाने पर कैंप में जांच अभियान चल रहा है। कोलकाता और राज्य पुलिस के जवानों के अलावा स्थानीय स्तर पर हजारों वालंटियर नियुक्त किए गए हैं जो गंगासागर पहुंचे लोगों के लिए मददगार बने हैं।