–सिडनी डायलॉग को सम्बोधित किया प्रधानमंत्री मोदी ने
-गलत हाथों में न जाय क्रिप्टो-मुद्रा, मोदी ने किया सचेत
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को सिडनी डायलॉग में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उभरती डिजिटल दुनिया में भारत की केंद्रीय भूमिका की स्वीकार्यता का उल्लेख किया। डिजिटल युग के लाभों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया साइबर से लेकर अंतरिक्ष तक नए जोखिमों और संघर्षों के नए रूपों में खतरों का भी सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत खुलापन है। साथ ही, हमें कुछ निहित स्वार्थों को इस खुलेपन का दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिए”।
इस संदर्भ में उन्होंने क्रिप्टो-मुद्रा का उदाहरण देते हुए कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक राष्ट्र इस पर एक साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, जो हमारे युवाओं को खराब कर सकता है”।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सिडनी डायलॉग के उद्घाटन में मुख्य भाषण दिया। उन्होंने भारत के प्रौद्योगिकी विकास और क्रांति के विषय पर बात की। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन द्वारा परिचयात्मक विवरण दिया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक लोकतंत्र और एक डिजिटल नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत साझी समृद्धि और सुरक्षा के लिए भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है। “भारत की डिजिटल क्रांति हमारे लोकतंत्र, हमारी जनसांख्यिकी और हमारी अर्थव्यवस्था के पैमाने में निहित है। यह हमारे युवाओं के उद्यम और नवाचार द्वारा संचालित है। हम अतीत की चुनौतियों को भविष्य में छलांग लगाने के अवसर में बदल रहे हैं।”
इस दौरान प्रधानमंत्री ने भारत में हो रहे पांच महत्वपूर्ण बदलावों को सूचीबद्ध किया। एक, भारत में बनाया जा रहा दुनिया का सबसे व्यापक सार्वजनिक सूचना ढांचा। 1.3 अरब से अधिक भारतीयों के पास एक अद्वितीय डिजिटल पहचान है, छह लाख गांव जल्द ही ब्रॉडबैंड और दुनिया के सबसे कुशल भुगतान बुनियादी ढांचे, यूपीआई से जुड़ेंगे। दो, शासन, समावेश, सशक्तिकरण, कनेक्टिविटी, लाभ वितरण और कल्याण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग। तीसरा, भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्टार्टअप इको-सिस्टम है। चौथा, भारत का उद्योग और सेवा क्षेत्र, यहां तक कि कृषि भी बड़े पैमाने पर डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। पांच, भारत को भविष्य के लिए तैयार करने का बड़ा प्रयास है। प्रधानमंत्री ने कहा “हम 5जी और 6जी जैसी दूरसंचार प्रौद्योगिकी में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने में निवेश कर रहे हैं। भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग में अग्रणी देशों में से एक है, विशेष रूप से इसके मानव-केंद्रित और नैतिक उपयोग में। हम क्लाउड प्लेटफॉर्म और क्लाउड कंप्यूटिंग में मजबूत क्षमताएं विकसित कर रहे हैं।”
भारत के लचीलेपन और डिजिटल संप्रभुता के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हम हार्डवेयर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम सेमी-कंडक्टर के प्रमुख निर्माता बनने के लिए प्रोत्साहन पैकेज तैयार कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार में हमारी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं पहले से ही भारत में आधार स्थापित करने के लिए स्थानीय और वैश्विक प्लेयर्स को आकर्षित कर रही हैं।
उन्होंने डेटा सुरक्षा, गोपनीयता और सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। “इस समय, हम लोगों के सशक्तिकरण के स्रोत के रूप में डेटा का उपयोग करते हैं। भारत के पास व्यक्तिगत अधिकारों की मजबूत गारंटी के साथ लोकतांत्रिक ढांचे में ऐसा करने का बेजोड़ अनुभव है”।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाय2के समस्या से निपटने में भारत का योगदान और दुनिया को ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में कोविन प्लेटफॉर्म की पेशकश करना भारत के मूल्यों और दूरदृष्टि का उदाहरण हैं। “भारत की लोकतांत्रिक परंपराएं पुरानी हैं; इसके आधुनिक संस्थान मजबूत हैं और, हमने हमेशा दुनिया को एक परिवार के रूप में देखा है”।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सार्वजनिक हित, समावेशी विकास और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए प्रौद्योगिकी और नीति के उपयोग के साथ भारत का व्यापक अनुभव विकासशील दुनिया के लिए बहुत मददगार हो सकता है। उन्होंने कहा, “हम राष्ट्रों और उनके लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें इस सदी के अवसरों के लिए तैयार करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।”
लोकतंत्र के लिए एक साथ काम करने का रोडमैप देते हुए उन्होंने “भविष्य की प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास में एक साथ निवेश करने के लिए” एक सहयोगी ढांचे, विश्वसनीय विनिर्माण आधार और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने, साइबर सुरक्षा पर खुफिया और परिचालन सहयोग को मजबूत करने, महत्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढांचे की रक्षा करनेका आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि उभरते हुए ढांचे को “राष्ट्रीय अधिकारों को भी मान्यता देनी चाहिए और साथ ही, व्यापार, निवेश और बड़े सार्वजनिक अच्छे को बढ़ावा देना चाहिए”।
सिडनी डायलॉग 17-19 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। यह ऑस्ट्रेलियाई सामरिक नीति संस्थान की एक पहल है। यह राजनीतिक, व्यापारिक और सरकारी नेताओं को चर्चा करने, नए विचार सृजित करने और उभरती व महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न अवसरों व चुनौतियों की सामान्य समझ की दिशा में काम करने के लिए एक साथ लाएगा। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के पूर्व प्रधान मंत्री शिंजो आबे भी मुख्य भाषण देंगे।