पार्थ चटर्जी और ‘कालीघाट के काकू’ समेत 54 लोगों पर आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू, ईडी के मामले से राहत चाहते हैं पूर्व मंत्री

कोलकाता : नियुक्ति घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी, ‘कालीघाट के काकू’ के नाम से मशहूर सुजयकृष्ण भद्र और 54 अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गुरुवार को कोलकाता के विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी ने ईडी के मामले से खुद को बरी करने की अपील की।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि दिसंबर माह के भीतर निचली अदालत में आरोप तय किए जाएं। इसी क्रम में गुरुवार को शीतकालीन अवकाश के बावजूद कोलकाता की विशेष अदालत ने सुनवाई की। इस दौरान आरोपपत्र में नामित सभी आरोपितों को अदालत में पेश होना पड़ा।

ईडी ने पेश किए साक्ष्य

सुनवाई के दौरान ईडी ने अदालत में दावा किया कि सुजयकृष्ण भद्र उर्फ ‘कालीघाट के काकू’ और पार्थ चटर्जी के साथ-साथ अन्य आरोपितों जैसे माणिक भट्टाचार्य, शांतनु बनर्जी और कुंतल घोष के बीच स्पष्ट संबंध हैं। ईडी ने यह भी बताया कि ‘कालीघाट के काकू’ और पार्थ चटर्जी के बीच लेन-देन के पुख्ता सबूत मिले हैं।

दस्तावेजों को लेकर बाधा

हालांकि, आरोप तय करने से पहले कुछ आरोपितों के वकीलों ने अदालत में यह शिकायत की कि उन्हें मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। इस पर अदालत ने ईडी को फटकार लगाई और आदेश दिया कि सभी दस्तावेज बुधवार दोपहर तक आरोपितों को सौंप दिए जाएं।

ईडी ने इस आदेश का पालन करने के लिए समय की मांग की थी, लेकिन अदालत ने अधिक समय देने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश ने ईडी से कहा कि आपको व्यक्तिगत रूप से सभी आरोपितों के घर जाकर दस्तावेज देने होंगे, लेकिन इसे जल्द से जल्द पूरा करें।

जमानत की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के आधार पर पार्थ चटर्जी को एक फरवरी तक जमानत देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इससे पहले निचली अदालत आरोप तय करने और महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी कर ले। यदि यह प्रक्रिया समय पर पूरी हो जाती है, तो पार्थ को एक फरवरी से पहले भी जमानत मिल सकती है।

यह मामला नियुक्ति घोटाले में अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसमें ईडी ने करोड़ों रुपये के लेन-देन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अब देखना होगा कि अदालत की अगली सुनवाई में आरोपितों की स्थिति क्या रहती है।

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