कोलकाता : आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या को लेकर न्याय की मांग तेज हो गई है। इस बीच, पश्चिम बंगाल में कई दुर्गा पूजा समितियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दी जाने वाली 85 हजार रुपये की सम्मान राशि को ठुकरा दिया है। समितियों का कहना है कि जब महिलाएं सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आई हैं, तब वे सरकार की सहायता स्वीकार नहीं कर सकतीं।
हुगली जिले की भद्रकाली बाउथान संघ की अध्यक्ष रीना दास ने कहा, “हमने इस वर्ष इस अनुदान का बहिष्कार करने का फैसला किया है ताकि हमारे सदस्यों की भावनाओं का सम्मान किया जा सके, जो अपने कार्यस्थल पर एक प्रशिक्षु डॉक्टर पर हुए क्रूर हमले से गहराई से आहत हैं। हमने पिछले कई वर्षों से इस अनुदान को स्वीकार किया है, लेकिन इस बार हम इसे नहीं लेंगे।”
उत्तरपाड़ा शक्ति संघ के प्रसनजीत भट्टाचार्य ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह एक प्रतीकात्मक विरोध है। हम तब तक यह पैसा स्वीकार नहीं करेंगे जब तक इस जघन्य अपराध में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती।”
अन्य समितियों का निर्णय
मुर्शिदाबाद के लालगोला कृष्णापुर संन्यासतला और नदिया के बेथुआडहरी टाउन क्लब जैसी अन्य समितियों ने भी स्थानीय अधिकारियों को अनुदान को अस्वीकार करने के अपने निर्णय को लेकर सूचित किया है।
जादवपुर की हाइलैंड पार्क दुर्गोत्सव समिति ने भी पीड़िता के परिवार के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए अनुदान को ठुकरा दिया है। समिति के एक अधिकारी ने कहा, “हमने वर्तमान विरोध और न्याय की मांग के मद्देनजर सर्वसम्मति से अनुदान को छोड़ने का फैसला किया है।”
दुर्गोत्सव फोरम की प्रतिक्रिया
दुर्गा पूजा समितियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दुर्गोत्सव फोरम ने इस दुखद घटना को त्योहार से अलग रखने का आग्रह किया है। फोरम के एक वरिष्ठ पदाधिकारी पार्थ घोष ने कहा, “हम इस त्रासदी से बेहद दुखी और हतप्रभ हैं और सभी दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग करते हैं। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द न्याय मिले, लेकिन समझ नहीं पा रहे कि इस घटना को बंगाल के दुर्गा पूजा से क्यों जोड़ा जा रहा है, जिसे यूनेस्को ने मान्यता दी है।”
संतोष मित्रा स्क्वायर की अपील
संतोष मित्रा स्क्वायर पूजा समिति के प्रमुख आयोजक और भाजपा के वरिष्ठ नेता सजल घोष ने पहले ही सभी पूजा समितियों से अनुदान को अस्वीकार करने का आह्वान किया था ताकि राज्य के मामले में अपनी असहमति का स्पष्ट संदेश दिया जा सके। उन्होंने कहा, “हमने कई वर्षों से इस अनुदान को स्वीकार नहीं किया है और सभी समितियों से इसे ठुकराने का अनुरोध करता हूं ताकि हमारी स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आ सके।”