नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से ‘द केरला स्टोरी’ पर लगी रोक हटा दी है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले बेंच ने तमिलनाडु सरकार से कहा कि फिल्म दिखाने वाले सिनेमा हॉल को सुरक्षा प्रदान की जाए। सिनेमाघर मालिकों पर कोई दबाव न बनाया जाए। कोर्ट ने कहा कि निर्माता भी डिस्क्लेमर लगाएं कि 32 हजार लड़कियों के गायब होने का आंकड़ा पुख्ता नहीं है।
सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि इस फिल्म में हेट स्पीच के अलावा तथ्यों के साथ हेरफेर किया गया है। इसकी वजह से राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य और कानून व्यवस्था का मुद्दा खड़ा हो सकता है। इसकी जानकारी राज्य के खुफिया तंत्र ने दी है। फिल्म पर प्रतिबंध खुफिया सूचनाओं के आधार पर लिया गया एक नीतिगत फैसला है। इसके प्रतिबंध से याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता द्वारा वित्तीय नुकसान को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के रूप में नहीं बताया जा सकता।
तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि ‘द केरला स्टोरी’ की रिलीज पर राज्य सरकार ने कोई रोक नहीं लगाई है। राज्य में फिल्म दिखाने जाने पर रोक जैसे हालात की फिल्म निर्माता द्वारा दी गई दलील गलत है। 05 मई को यह फिल्म 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज हुई। दर्शकों की संख्या में कमी के चलते सिनेमाघर मालिकों ने खुद ही फिल्म की स्क्रीनिंग को बंद करने का फैसला लिया है। राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग करने वाले सभी सिनेमाघरों के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पुलिस महानिदेशक ने सभी पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस अधीक्षकों को फिल्म दिखाने वाले सभी सिनेमा हॉल और फिल्म देखने आने वालों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए थे।
‘द केरला स्टोरी’ पर पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में रोक के खिलाफ फिल्म निर्माता ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 12 मई को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि जब पूरे देश में फिल्म चल रही है तो आपके राज्य में क्यों रोका जा रहा है?