कोलकाता : पश्चिम बंगाल में आगामी उपचुनावों के लिए कांग्रेस और माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के बीच सीट-बंटवारे की संभावना कम है। राज्य की छह विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं, लेकिन अब तक दोनों दलों के बीच किसी तरह की बातचीत नहीं हुई है।
माकपा के राज्य समिति के एक सदस्य ने बताया कि न तो उनकी पार्टी को कांग्रेस से कोई प्रस्ताव मिला है और न ही वाम मोर्चे ने कांग्रेस से संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि इसलिए, हमने उपचुनावों के लिए पार्टी के भीतर और वाम मोर्चे के भीतर स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने पर चर्चा शुरू कर दी है।
हालांकि, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (डब्ल्यूबीपीसीसी) के एक सदस्य ने कहा, “हालांकि सीट-बंटवारे पर अंतिम निर्णय पार्टी के उच्च कमान द्वारा लिया जाएगा, लेकिन पार्टी की राज्य इकाई में अधिकांश लोग उपचुनावों में अपने संगठनात्मक ताकत को परखने के लिए अकेले लड़ने के पक्ष में हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माकपा के पूर्व महासचिव सीताराम येचुरी के निधन और पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के स्थानांतरण के कारण कांग्रेस और वाम मोर्चा के बीच सीट-बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू करने में बड़ी अड़चनें आई हैं।
एक नेता ने कहा कि येचुरी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ सीधे संवाद करते थे, जबकि चौधरी वाम मोर्चा के पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम के साथ समन्वय करते थे। इन दोनों नेताओं की अनुपस्थिति कांग्रेस-वाम मोर्चा के बीच सीट-बंटवारे के समझौते को लेकर इस बार महसूस की जा रही है।
पश्चिम बंगाल के जिन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वे हैं -कूचबिहार जिले का सिताई, अलीपुरद्वार जिले का मदारीहाट, उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी और हरोआ, पश्चिम मेदिनीपुर जिले का मेदिनीपुर और बांकुड़ा जिले का तालडांगरा। वोटों की गिनती 23 नवंबर को निर्धारित की गई है।
इन सभी छह सीटों के विधायक इस साल लोकसभा चुनावों में चुने गए थे, जिससे ये सीटें खाली हुई हैं। 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में मदारीहाट को छोड़कर बाकी पांच सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे, जबकि मदारीहाट पर भाजपा के विधायक चुने गए थे।