नयी दिल्ली : सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला आदित्य-एल1 के सौर पवन कण प्रयोग पेलोड के दूसरे उपकरण ने काम करना शुरू कर दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह जानकारी साझा की।
इसमें कहा गया है कि सौर पवन आयन स्पेक्ट्रोमीटर (एसडब्ल्यूआईएस), सौर पवन कण प्रयोग (एएसपीईएक्स) पेलोड में लगा दूसरा उपकरण अब चालू हो गया है। पिछले दो दिनों में हिस्टोग्राम एसडब्ल्यूआईएस द्वारा कैप्चर किए गए प्रोटॉन और अल्फा कण गणना में ऊर्जा भिन्नता को दर्शाता है।
हाल ही में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा था कि सूर्य का अध्ययन करने से जुड़े भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के तहत प्रक्षेपित ‘आदित्य एल1′ अंतरिक्ष यान अपने अंतिम चरण के करीब है और एल1 बिंदु में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है। अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा।