इतिहास के पन्नों में 10 सितंबरः कश्मीरी युवकों ने किया इंडियन एयरलाइंस का विमान हाईजैक

देश-दुनिया के इतिहास में 10 सितंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह वही तारीख है जब कश्मीरी युवकों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाईजैक कर लिया था। वह तारीख थी 10 सितंबर, 1976 और स्थान था दिल्ली का पालम एयरपोर्ट। यहां से इंडियन एयरलाइंस के बोइंग 737 ने 66 यात्रियों के साथ मुंबई के लिए उड़ान भरी। इस विमान को जयपुर और औरंगाबाद होते हुए मुंबई पहुंचना था। विमान को कमांडर बीएन रेड्डी और को-पायलट आरएस यादव उड़ा रहे थे।

दिल्ली से उड़े विमान ने अभी 35 मील का सफर तय किया ही था कि कॉकपिट में दो लोग घुसे और को-पायलट यादव की कनपटी पर बंदूक अड़ा दी। बोले- “हाथ ऊपर! हिलो मत वरना हम तुम्हें मार देंगे। हमने प्लेन को हाइजैक कर लिया है। प्लेन को लीबिया ले चलो।”

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हाइजैकर्स कश्मीरी युवक थे। वह कश्मीर के मुद्दे पर दुनिया का ध्यान खींचना चाहते थे। दोनों पायलट ने विमान में फ्यूल कम होने का बहाना बनाया और विमान को लाहौर ले गए। लाहौर में मैप्स और नेविगेशन चार्ट न होने का बहाना बनाया। यहां पाकिस्तान के अधिकारियों ने मदद के बहाने हाईजैकर्स को खाना दिया। इस खाने में बेहोशी की दवा मिला दी गई थी। खाना खाते ही हाईजैकर्स बेहोश हो गए और सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। अगले दिन 11 सितंबर को विमान सभी यात्रियों को सुरक्षित लेकर भारत लौटा। इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन को भारत-पाकिस्तान की सरकारों के अनूठे तालमेल की मिसाल माना जाता है।

यह तारीख क्रिकेट के लिए भी यादगार है। गुजरात के नवानगर में 10 सितंबर 1872 को सर रणजीत सिंह विभाजी जडेजा यानी रणजी का जन्म हुआ था। उनके नाम पर ही भारत में घरेलू क्रिकेट का सबसे बड़ा टूर्नामेंट रणजी खेला जाता है। वे नवानगर के 1907 से 1933 महाराजा भी रहे। रणजी भारत के पहले टेस्ट क्रिकेटर हैं, जिन्होंने इंग्लिश क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट भी खेला। पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1935 में रणजी ट्रॉफी की शुरुआत की। भूपिंदर सिंह के भतीजे दुलीप सिंह ने भी इंग्लैंड में फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेला और इंग्लिश क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व भी किया।

इसके अलावा फैशन की दुनिया के लिए भी यह तारीख यादगार है।आज फैशन की दुनिया में तरह-तरह के कपड़े देखने को मिलते हैं, लेकिन क्या यह बिना सिलाई मशीन के संभव होता? शायद नहीं। इसी तारीख को 1846 में एलायस होवे को सिलाई मशीन के लिए पेटेंट मिला था। एलायस होवे का जन्म नौ जुलाई, 1819 को हुआ था। उन्होंने 1835 में अमेरिका की एक टेक्सटाइल कंपनी में बतौर ट्रेनी अपने करियर की शुरुआत की। यहीं पर उन्होंने सिलाई से जुड़े अलग-अलग इनोवेशन करना शुरू किए। 1845 में उन्होंने सिलाई मशीन बना ली थी। 10 सितंबर 1846 को उन्होंने इस मशीन का पेटेंट करवाया था।

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