कोलकाता : राज्य पुलिस प्रशासन को एक बार फिर अदालत की फटकार का सामना करना पड़ा। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की पीठ ने 2019 में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में आरोप पत्र में शेख शाहजहां का नाम हटाने के लिए सीआईडी को फटकार लगाई।
गवाहों की गुप्त गवाही में पहले नंबर पर नाम होने के बावजूद शेख शाहजहां का नाम क्यों छोड़ दिया गया? ये सवाल जज ने उठाया मामले की अगली सुनवाई एक अप्रैल को होगी। उसके पहले केस डायरी जमा करने को कहा गया है।
2019 में संदेशखाली में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं प्रदीप मंडल, देवदास मंडल और सुकांत मंडल की हत्या कर दी गई थी। घटना में शेख शाहजहां और उसके गुर्गों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गईं। हाई कोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच सीआइडी को सौंपी गयी थी।
जांच अधिकारियों ने गवाहों के गुप्त बयान लिए लेकिन, सीआईडी केस की फाइनल चार्जशीट दाखिल करने के बाद देखा गया कि मुख्य आरोपित और गवाहों के बयान में सबसे ऊपर रहे शेख शाहजहां का नाम हटा दिया गया है। इसके बाद विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने आठ जनवरी को हाई कोर्ट में केस दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
उस दिन सीआईडी के जांच अधिकारी को कोर्ट में बुलाया गया था। न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने उनसे पूछा, “इस तथ्य के बावजूद कि गवाह के गुप्त बयान में शेख शाहजहां का नाम आरोपी नंबर एक की सूची में था, शेख शाहजहां का नाम आरोप पत्र से कैसे हटा दिया गया?” जवाब में सीआईडी के अधिकारी ने कहा, ”गवाहों की गवाही विश्वसनीय नहीं पाई गई।”
राज्य पुलिस के गुप्तचर विभाग के अधिकारी की बात सुनकर क्रोधित न्यायाधीश ने कहा, “आप निर्णय करेंगे कि कौन विश्वसनीय है और कौन विश्वसनीय नहीं है ? मैं देख रहा हूं कि आपको किसी वरिष्ठ को बुलाने की आवश्यकता है।”
उल्लेखनीय है कि इस दिन राज्य के वकील अमितेश बनर्जी सुनवाई में मौजूद नहीं थे तो एक अन्य वकील ने कहा, “चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। हालांकि, अभी तक आरोप तय नहीं किया गया हैय राज्य को केस डायरी पेश करने के लिए कुछ और दिन का समय दिया जाना चाहिए।” अगली सुनवाई एक अप्रैल को होगी। पहले के आदेश के मुताबिक, निचली अदालत में इस मामले की सभी कार्यवाही पर फिलहाल रोक रहेगी। जस्टिस जय सेनगुप्ता ने अगली सुनवाई के दिन केस डायरी लाने का आदेश दिया है।