कोलकाता : लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को शुक्रवार को दोहरा झटका लगा। बैरकपुर से सांसद एवं बागी नेता अर्जुन सिंह और तमलुक से सांसद दिव्येंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो गए। दोनों नेताओं ने बीजेपी के दिल्ली स्थित मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
दिव्येंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल भाजपा के दिग्गज नेता और विधनसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के भाई हैं। दिव्येंदु अधिकारी तमलुक लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर दो बार सांसद रहे। यह क्षेत्र अधिकारी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। हालांकि, इस बार ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने दिव्येंदु की जगह पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख देवांशु भट्टाचार्य को तमलुक से तृणमूल उम्मीदवार बनाया है।
दूसरी ओर अर्जुन सिंह पश्चिम बंगाल के कद्दावर हिंदी भाषी नेताओं में से एक हैं। वह फिलहाल बैरकपुर से सांसद हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बैरकपुर से ही भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार नहीं बनने के बाद उन्होंने वर्ष 2022 में तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर ली थी। अब उन्होंने आरोप लगाया है कि तृणमूल ने वादाखिलाफी की है और उन्हें बैरकपुर से उम्मीदवार नहीं बनाया। उनकी जगह नैहाटी के विधायक वि राज्य के मंत्री पार्थ भौमिक को टिकट दिया गया है। इसके अलावा पार्टी में वह अपमानित महसूस कर रहे थे, इसलिए उन्होंने भाजपा में वापसी की है।
पार्टी में शामिल होने के बाद अर्जुन सिंह ने कहा कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना शुरू किया जिसके कारण उन्होंने तृणमूल का दामन थामा ताकि पार्टी के कार्यकर्ता सुरक्षित रह सकें। उन्होंने कहा कि बंगाल के सीमावर्ती ज़िलों में एक नहीं, कई जगहों पर संदेशख़ाली जैसे हालात हैं और वहाँ माँ-बहनों की इज्जत से खिलवाड़ किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीएए लागू कर शरणार्थियों को नागरिकता देने के फ़ैसले को लागू कर अपना वादा निभाया है और इस फ़ैसले से बंगाल में मतुआ समुदाय में ख़ुशी का माहौल है।