सिउड़ी : जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल के जेल जाने के बाद तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व बीरभूम जिले पर नजर रखे हुए है। इसी बीच पार्टी के जिला उपाध्यक्ष बिप्लब ओझा ने तृणमूल के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को शुभेंदु अधिकारी की एक जनसभा नलहाटी में प्रस्तावित है। इस कारण राजनीतिक अटकलें भी तेज हो गईं हैं।
बिप्लब ओझा वर्ष 2009 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल हो गए थे। उस समय तृणमूल के हाथ तब और मजबूत हुए जब कांग्रेस के तत्कालीन लोकप्रिय नेता तृणमूल में शामिल हो गए। उस समय बिप्लब नलहटी नगरपालिका के चेयरमैन थे। वह वर्ष 2012 तक इस पद पर थे। वे एक बार विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल के उम्मीदवार बने थे। बिप्लव इलाके में तृणमूल कांग्रेस के एक बड़े चेहरे के रूप में परिचित थे। इसलिए उनके पार्टी छोड़ने के फैसले को तृणमूल कांग्रेस के लिए काफी झटका माना जा रहा है।
पार्टी छोड़ने के सवाल पर बिप्लब ने कहा, ‘मैं 2009 से इतने लंबे समय से तृणमूल कर रहा हूं। मैं आज क्षेत्र के लोगों को सूचित करता हूं कि मैं तृणमूल कांग्रेस से सभी संबंध तोड़ रहा हूं। वजह है कि वर्ष 2009 में मैं नलहाटी नगरपालिका का चेयरमैन था। उस समय मैं कांग्रेस से तृणमूल में आया था। तृणमूल कांग्रेस ने मुझे सम्मान भी दिया था। वर्ष 2013 में हुए उपचुनाव में मैं तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन मैं हार गया। उसके बाद मैं जिला तृणमूल कांग्रेस का उपाध्यक्ष बना। इसके बाद भी मैंने देखा कि पिछले एक साल में तृणमूल के लिए मेरी कोई जरूरत नहीं है। मुझे पार्टी की बैठकों एवं जुलूसों में नहीं बुलाया जाता है। मेरे समर्थक इसे देख रहे थे। स्वाभाविक रूप से इस बारे मैं उन्हें कोई उत्तर नहीं दे सका। इसलिए मैंने तृणमूल कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया।’