कोलकाता : हुगली जिले के जिस सिंगुर से ममता बनर्जी के राजतिलक की आधारशिला रखी गई थी वहां के किसान आज भी अपनी जमीन वापसी का इंतजार कर रहे हैं। टाटा के नैनो प्रोजेक्ट की वापसी के बावजूद उन्हें अपनी जमीन नहीं मिली है। इसे लेकर गुरुवार को किसानों के समूह ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका लगाई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने ममता सरकार से चार हफ्ते के भीतर रिपोर्ट तलब की है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगुर भूमि की वापसी पर राज्य सरकार के रुख के बारे में एक हलफनामे के माध्यम से अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य को चार सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें बताया जाना है कि जमीन अभी तक वापस क्यों नहीं की गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कोर्ट के इस आदेश की वजह से ममता सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ममता सरकार ने अभी तक सिंगुर के कई किसानों को उनकी जमीन नहीं लौटाई है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जमीन को उसकी मूल स्थिति में वापस लाया जाए। सभी मामलों में उस आदेश का पालन नहीं किया गया है। कुछ किसानों को जमीन लौटाई गई है लेकिन वह बंजर भूमि हो चुकी है जबकि उपजाऊ जमीन ली गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने आगे शिकायत की कि उन्होंने कई बार राज्य सरकार से अपील की है लेकिन कुछ नहीं किया गया है। इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
लगभग एक दशक के संघर्ष के बाद, 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सिंगुर में टाटा कार फैक्ट्री के लिए किसानों को आवंटित जमीन वापस करने का आदेश दिया था। इसके बाद ममता बनर्जी सिंगुर गईं और सरसों का बीज डालकर जमीन वापसी की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, सिंगुर की 997 एकड़ ज़मीन में से ज़्यादातर बंजर पड़ी हुई है। किसानों का कहना है कि फैक्ट्री के निर्माण से जमीन की प्रकृति बदल जाने से खेती लाभकारी नहीं रह गयी है।
ऐसे में ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार को पिछले अक्टूबर में सिंगुर की जमीन से टाटा को बेदखल करने के लिए टाटा को 766 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। साथ ही न्यायाधीश ने 2016 से 11 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देने का आदेश दिया। इसके बाद अब जमीन वापसी में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने को लेकर ममता सरकार चौतरफा घिरती नजर आ रही है।