- यमुना व बेतवा नदियों की बाढ़ में उजड़ गया था पूरा गांव
हमीरपुर : हमीरपुर में यमुना, बेतवा नदियों के संगम किनारे स्थित मां अम्बे के मंदिर में नवदुर्गा महोत्सव की धूम आज से मच गई है। इस मंदिर का इतिहास करीब छह सौ साल पुराना है जहां विराजमान मां अम्बे की प्रतिमा मराठाकालीन है। दोनों नदियों की बाढ़ से पूरा गांव ही उजड़ गया था लेकिन मंदिर टस से मस नहीं हो सका।
हमीरपुर शहर से करीब 13 किमी दूर बीहड़ में बसा बड़ागांव मां अम्बे के मराठाकालीन मंदिर होने के कारण पूरे क्षेत्र में विख्यात है। यह गांव यमुना और बेतवा नदी के संगम से कुछ किमी दूर बसा है। बताते हैं कि यमुना नदी के तल से करीब सौ मीटर की ऊंचाई में मां अम्बे का मंदिर स्थित है। यह मंदिर मराठाकालीन है जो कंकर और चूने से बनाया गया है। मंदिर में स्थापित मां अम्बे और काली की मूर्ति बड़ी ही चमत्कारी है।
मंदिर के अंदर दोनों देवियों की मूर्ति के सामने शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के महंत सुखदेव ऋषि ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण मराठा शासन काल में हुआ था। मंदिर के आसपास किसी जमाने में घनी आबादी थी, लेकिन कई बार यमुना और बेतवा नदियों में आई बाढ़ से गांव ही उजड़ा मंदिर को कुछ नहीं हुआ। अब मंदिर से दो किमी दूर बड़ागांव बस चुका है।
यमुना और बेतवा की उफान से तबाह हुआ था गांव
मंदिर के महंत सुखदेव ऋषि ने बताया कि वर्ष 1978 व 1983 में यमुना और बेतवा नदियों में भीषण बाढ़ में पूरा गांव ही डूब गया था लेकिन अम्बे मां का मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित रहा। महंत के अलावा सुरौली गांव के पूर्व सरपंच रामफूल निषाद ने बताया कि बाढ़ के समय मां अम्बे की मूर्ति का चमत्कार देख लोग दंग रह गए थे। प्रलयकारी बाढ़ में मंदिर के आसपास का इलाका पानी में डूब जाने से क्षेत्र में हाहाकार मचा था। हजारों लोगों को गांव छोड़कर भागना पड़ा था।
नदियों की बाढ़ के कारण कई किमी दूर बसा था गांव
यमुना और बेतवा नदियों की बाढ़ के कारण मंदिर से करीब दो किमी दूर नया बड़ागांव बसा था। अब यह गांव हर तरह से सुरक्षित है। मंदिर के महंत ने बताया कि इस मराठाकालीन मंदिर में हर साल कार्तिक मास और नवरात्रि में पूरा गांव मिलकर धार्मिक आयोजन कराता है। नवरात्रि के आठवें दिन गांव के लोगों की मदद से मंदिर में भंडारे का आयोजन होता है। जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। बताया कि कोरोना संक्रमण काल के बाद अब नवरात्रि पर्व की यहां धूम मच गई है।
माता रानी के दरबार में पूजा करने से पूरी होती है मुरादें
पुजारी ने बताया कि इस मंदिर में कई लोगों को संतान का सुख मां अम्बे की मूर्ति पर माथा टेकने से मिला है। बताया कि तीन दशक पहले पड़ोसी फतेहपुर जिले के अमौली से एक व्यापारी के बेटे का अपहरण हुआ था। तब व्यापारी ने किसी के कहने पर यहां मंदिर आकर माता रानी के दरबार में माथा टेका था। उसने रोते हुए मन्नत मांगी थी। मां अम्बे के आशीर्वाद से अगले ही दिन उसका बेटा सकुशल घर लौट आया था। बेटे के लौटने पर व्यापारी ने मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम कराया था।