कोलकाता : सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज में ‘हिन्दी कहानी : मूल्यांकन के आयाम’ विषयक छात्र संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कॉलेज के टीचर-इन-चार्ज डॉ. सुदीप्त मिद्दे ने कहा कि कहानी जीवन के अनुभव को संचित रखती है। वाइस प्रिंसिपल प्रो. विनायक भट्टाचार्य ने बांग्ला एवं हिन्दी की कहानियों का तुलनात्मक दृष्टि से विवेचना करते हुए कहा कि कहानी जीवन मूल्य को समाज में प्रतिष्ठित करती है।
आईक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर डॉ. जया मुखर्जी ने हिन्दी विभाग को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह विषय विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। अपने स्वागत भाषण में हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश पाण्डेय ने कहा कि कहानी की परम्परा किस्सागोई शैली का ही विकसित रूप है। साथ ही, कार्यक्रम की रूपरेखा एवं जीवन में इसके महत्त्व को निरूपित किया।
इस संगोष्ठी में लगभग 20 विद्यार्थियों ने चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, सुदर्शन, जैनेन्द्र कुमार, फणीश्वरनाथ रेणु, निर्मल वर्मा, अमरकांत, कृष्णा सोबती, ज्ञानरंजन आदि कहानीकारों के विभिन्न कहानियों पर अपने सारगर्भित एवं प्रासंगिक विचार रखे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन किया षष्ठम् और द्वितीय सत्र के विद्यार्थी विवेक तिवारी और सुमन गोंड ने तथा प्रो. आरती यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में प्रो. परमजीत कुमार पंडित, करन सिंह (राजभाषा अधिकारी), सिंटू प्रसाद, निकिता शर्मा, अमरनाथ राय, मानसी गुप्ता, अंशु महतो, संयुक्ता दत्ता, पायल वाल्मीकि, रौशनी सिंह, खुशबू साव, राहुल सिंह, सचिन शर्मा, लवली रॉय, मंगल रजक, सीता, प्रीति, नीतू, सूरज, प्रिंस, सुधीर आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में जितेन्द्र नायक, गंगा लोध आदि की अहम भूमिका रही।