नयी दिल्ली : नीट 2024 की विसंगतियों को लेकर 20 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें 05 मई को हुई इस परीक्षा की गड़बड़ियों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है।
तन्मय शर्मा और अन्य की तरफ से दाखिल की गई याचिका में इस परीक्षा में 620 अंक से ज्यादा पाने वाले छात्रों की अकादमिक और फॉरेंसिक जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से कराने की मांग की गई है। याचिका में नीट की परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार और इस परीक्षा को आयोजित करने वाली एजेंसियों को परीक्षा के दौरान पारदर्शिता बरतने, पेपर लीक न होने और परीक्षा के दौरान गलत तरीकों के इस्तेमाल भविष्य में न हो इसके लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में परीक्षा परिणामों की जांच के आधार पर सात बिंदुओं का हवाला दिया गया है। पहला, इस परीक्षा में 67 बच्चों ने 100 प्रतिशत अंक हासिल किए, जिनमें छह एक ही परीक्षा केंद्र के हैं। जबकि टॉप 70 में से 8 छात्र हरियाणा के झज्जर के एक परीक्षा केंद्र से हैं। साथ ही टॉप सौ बच्चों के रोल नंबर एक ही क्रम में हैं।
दूसरा, 620 से 720 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या पहले के मुकाबले 400 प्रतिशत तक बढ़ गई है जो पिछले साल मात्र दशमलव चार से दशमलव छह प्रतिशत ही थी। वहीं, पिछली बार टॉप 100 छात्रों की संख्या का प्रतिशत 2.5 ही था। जबकि 520 से 620 और उससे नीचे के वर्ग में आने वाले छात्रों के प्रतिशत में कोई खास अंतर नहीं है। यह दर्शाता है कि सुनियोजित तरीके से खास बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए ऐसा किया गया।
तीसरा, 1563 बच्चों को परीक्षा परिणामों में एनटीए द्वारा बिना किसी नियम के ग्रेस मार्क्स दिया गया। एनटीए इसके लिए दोषी है कि परीक्षा समाप्त होने के बाद बिना किसी नियम में बदलाव करते हुए ग्रेस मार्क्स दिए, जिसकी जांच की जाए।
चौथा, कुल 720 अंक में से छात्रों द्वारा 718-719 अंक पाना गणितीय रूप से सम्भव नहीं है क्योंकि परीक्षा में सही जवाब के लिए चार और गलत जवाब के लिए एक नंबर काटने का प्रावधान है। ऐसे में 180 प्रश्नों का उत्तर देने पर किसी भी स्थिति मे 718 या 719 अंक नहीं प्राप्त किया जा सकता।
पांचवां, नीट परीक्षा के पेपर लीक हुए क्योंकि एनटीए ने माना कि परीक्षा के दिन 4 बजकर 25 मिनट पर ही पेपर सर्कुलेट हुए, जबकि परीक्षा 5 बजकर 20 मिनट पर समाप्त हुई।
छठवां, परीक्षा देने में मिले कम समय का हवाला देकर कंपेंसेटरी मार्क्स दिए जाने और सातवीं की परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है क्योंकि ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी छात्रों को नहीं दी गई। जिससे धांधली की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, इस पूरे मामले में कई एफआईआर दर्ज की गई और कई आरोपितों को देश के विभिन्न हिस्सों से गिरफ्तार किया गया। ऐसे में इन बिंदुओं के आधार पर परीक्षा को रद्द किया जा सकता है।