नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक केस के तेज निपटारे के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया है कि वे स्वतः संज्ञान लें और विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे मामलों की निगरानी करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला जज से समय-समय पर रिपोर्ट ली जाए। साथ ही हाईकोर्ट वेबसाइट में एमपी-एमएलए के लंबित केस का ब्यौरा डाला जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट समय-समय पर ट्रायल की रिपोर्ट मांगे। सांसदों और विधायकों पर ट्रायल के लिए और स्पेशल कोर्ट हों। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि हम विशेष अदालतों में प्रत्येक मामले की निगरानी नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा के आरोपों के मामलों को प्राथमिकता मिले।
याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सांसदों और विधायकों को दोषी पाए जाने पर उनके आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई थी। जबकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जघन्य अपराधों में दोषी आए जाने पर सांसद या विधायकों के केवल छह साल के लिए चुनाव लड़ने तक रोक है।