ईवीएम पर चुनाव चिह्न न लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

– सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया फैसला लेने का निर्देश

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में उम्मीदवार के नाम के आगे चुनाव चिह्न न लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय के वकील ने बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग को भी यह अनुरोध करते हुए ज्ञापन दिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से ज्ञापन पर विचार कर फैसला लेने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने 19 मार्च, 2021 को याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को याचिका की प्रति अटार्नी जनरल को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की थी कि ईवीएम और बैलेट पेपर पर राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों के बजाय उम्मीदवारों की उम्र, योग्यता और फोटो लगाने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया था कि संविधान की धारा 14, 15 और 21 चुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों को बराबर अवसर देता है। चुनाव के दौरान ईवीएम पर पार्टी का चुनाव चिह्न देना संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया था कि करीब 43 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। 2014 में हुए चुनाव में 542 जीते हुए सांसदों में से 185 सांसदों ने ये स्वीकार किया था कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। 2009 के चुनाव के बाद 543 सांसदों में से 162 सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का लंबित होना स्वीकार किया था। याचिका में कहा गया था कि ऐसी स्थिति की वजह ईवीएम पर राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न अंकित होना है।

याचिका में कहा गया था कि बैलेट पेपर और ईवीएम पर राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न होने से मतदाताओं में भ्रम पैदा होता है और वे गलत व्यक्ति को भी अपना मत दे देते हैं। याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक दलों ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बंधक बना लिया है और वे काले धन और बेनामी संपत्तियों के लेन-देन में लिप्त हो गए हैं।

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