नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली के 11 जिलों में ईवीएम और वीवीपैट के प्रथम चरण की जांच को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि ये प्रक्रिया विस्तृत है। पार्टियों को ईवीएम पर भरोसा है। इसे पूरे भारत में दोहराया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें दखल दिया तो चुनाव में देरी होगी।
इससे पहले एक सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की याचिका भी खारिज कर चुका है। हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रथम चरण की जांच के लिए दिए गए दिशा-निर्देश और सुरक्षा पर्याप्त हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि प्रथम चरण की जांच में न केवल भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियर शामिल होते हैं बल्कि मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। लेकिन दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस जांच प्रक्रिया में शामिल नहीं हुई और अब उसे चुनौती दे रही है। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग ईवीएम और वीवीपैट के पहले चरण की जांच दोबारा करे। याचिका में कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग ईवीएम और वीवीपैट की जांच से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को पर्याप्त नोटिस जारी करे ताकि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी इस प्रक्रिया में शामिल हो सके।
याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में 15 जुलाई से 30 जुलाई तक ईवीएम और वीवीपैट के पहले चरण की जांच तय की गई थी। इसके लिए 12 और 13 जुलाई को नोटिस जारी किया गया था। उसके बाद 15 जुलाई को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अधिकृत प्रतिनिधि ने दिल्ली के सभी एसडीएम को पत्र लिखकर पहले चरण की जांच के लिए सभी ईवीएम के सीरियल नंबर और मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी की जानकारी मांगी। लेकिन किसी भी एसडीएम ने ये जानकारी नहीं दी। पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए ईवीएम की जांच संतोषजनक रूप से होनी चाहिए और सभी पक्षों को संतुष्ट होना चाहिए। लेकिन दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।