कोलकाता : बंगाली नववर्ष के दिन ‘बांग्ला दिवस’ की शुभकामनाएं देने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पर इतिहास से छेड़छाड़ करने और जनता को गुमराह करने की कोशिश का आरोप लगाया।
शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री के उस संदेश पर आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने ‘शुभो नववर्ष’ की जगह ‘बांग्ला दिवस’ कहकर राज्यवासियों को बधाई दी। उन्होंने इसे बंगाल के स्थापना दिवस को लेकर भ्रम फैलाने वाला कदम बताया। अधिकारी ने कहा कि बंगाली नववर्ष को ‘बांग्ला दिवस’ बताना ऐतिहासिक तथ्यों की अनदेखी है। उनके मुताबिक, पश्चिम बंगाल का वास्तविक स्थापना दिवस 20 जून है, जब 1947 में बंगाल प्रांतीय विधान सभा में राज्य के गठन का निर्णय लिया गया था।
ममता बनर्जी ने अपने संदेश में बांग्ला भाषा को लेकर प्रसिद्ध गीत ‘आमी बांग्लाय गान गाई’ का उल्लेख करते हुए राज्य की सांस्कृतिक परंपराओं को आगे बढ़ाने की बात कही थी। लेकिन विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाते हुए ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला।
शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा, “जब रोम जल रहा था, तब नीरो बांसुरी बजा रहा था। और जब बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा फैल रही है, तब मुख्यमंत्री गाने में मशगूल हैं।” उन्होंने यह टिप्पणी राज्य के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून को लेकर भड़की हिंसा की पृष्ठभूमि में की, जहां सैकड़ों हिंदू परिवारों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है, संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी हुई है, और अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है।
अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अगर हिंसा फैलाने वालों पर समय रहते कार्रवाई करतीं, तो राज्य की जनता खुद को सुरक्षित महसूस करती। उन्होंने यह भी कहा कि ममता बनर्जी का इतिहास को मिटाने का प्रयास सफल नहीं होगा।
शुभेंदु ने कहा, “राज्य का नाम पश्चिम बंगाल ही रहेगा, क्योंकि ‘पश्चिम’ शब्द एक ऐतिहासिक सच्चाई का प्रतीक है, जिसे मुख्यमंत्री भुलाना चाहती हैं।”
उन्होंने अपने संदेश में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान का भी उल्लेख किया, जिनकी भूमिका के कारण पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा बन सका। अधिकारी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री की कथनी और करनी के बीच बड़ अंतर है और राज्य की जनता अब उनके इरादों को समझ चुकी है।