बांग्लादेश सीमा से सटे जिलों में फॉर्म-6 आवेदनों में अचानक वृद्धि पर शुभेंदु अधिकारी ने जताई चिंता

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बांग्लादेश से सटे सीमावर्ती जिलों में मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए फॉर्म-6 के आवेदनों में अचानक हुई वृद्धि को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखा है। एक दिन पहले लिखे अपने पत्र को अधिकारी ने सोमवार को माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर शेयर किया है।

अधिकारी ने अपने पत्र में बताया कि पिछले सप्ताह इन सीमावर्ती जिलों से लगभग 70 हजार फॉर्म-6 आवेदन जमा किए गए, जबकि सामान्यतः यह संख्या 20 हजार से 25 हजार के बीच होती है। यह असामान्य वृद्धि उन्हें संदेहास्पद लग रही है।

उन्होंने जिन जिलों की ओर इशारा किया है, उनमें कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया और उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना शामिल हैं — ये सभी जिले बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं।

अधिकारी ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा डोमिसाइल प्रमाणपत्र जारी किए जाने की खबरों के साथ मिलकर यह अचानक वृद्धि एक सुनियोजित योजना का हिस्सा हो सकती है, जिसके माध्यम से रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को वैध कर मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है। उन्होंने इसे “अनैतिक और अवैध प्रयास” करार दिया है, और कहा कि ये लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।

उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि 25 जुलाई 2025 के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी कोई भी डोमिसाइल प्रमाणपत्र विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन – एसआईआर) के दौरान स्वीकार न किया जाए।

शुभेंदु अधिकारी ने पत्र में कहा, “हमारे लोकतंत्र की पवित्रता की रक्षा की जानी चाहिए और उसे वोट बैंक की राजनीति के लिए कमजोर नहीं किया जा सकता। जिला निर्वाचन अधिकारियों को याद रखना चाहिए कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदार भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है, और उनकी निष्ठा देश के प्रति है।”

गौरतलब है कि बिहार में पहले ही विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब यह प्रक्रिया अगस्त के पहले सप्ताह में पश्चिम बंगाल में शुरू होने की संभावना है। इस बीच, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए इसे पश्चिम बंगाल में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) लागू करने की एक अप्रत्यक्ष कोशिश बताया है।

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