कोलकाता : प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में इन दिनों सरस्वती पूजा के आयोजन को लेकर काफी चर्चा हो रही है। तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) ने प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय परिसर में सरस्वती पूजा करने का प्रस्ताव रखा है। टीएमसीपी की ओर से इस संदर्भ में विश्वविद्यालय के डीन को एक पत्र भी लिखा गया है। टीएमसीपी के प्रस्ताव का जवाब देते हुए डीन ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में धार्मिक आयोजनों का रिवाज नहीं है। ऐसे में सरस्वती पूजा को लेकर राजनीतिक उठापटक शुरू हो गई है।
सोमवार को नेताजी के जयंती समारोह में जब विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे फर्जी हिंदू हैं, इतना दिखावा करके कोई लाभ नहीं होगा। आम जनता को सब पता है। इसके जवाब में कुणाल घोष ने कहा कि कोई इतना कटु कैसे हो सकता है। कुणाल घोष ने शुभेंदु अधिकारी को हिंदू धर्म का कलंक करार देते हुए कहा कि उन्हें यह बातें शोभा नहीं देती हैं, वैसे भी उनके कुछ भी कहने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि शुभेन्दु वर्ष 2020 तक तृणमूल कांग्रेस में थे, अब सीबीआई, ईडी से बचने और भाजपा में बने रहने के लिए वह ऐसी बातें बोल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा का मतलब हिंदू है, इसका क्या मतलब बनता है? क्या हम अपने घर में ईश्वर की पूजा नहीं करते हैं। हमारी माँ-दादी ने कुछ नहीं सिखाया? जांच एजेंसी से बचे रहने के लिए भाजपा का दामन थामने वाले अब ऐसी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं।
तृणमूल छात्र परिषद के उपाध्यक्ष और प्रेसीडेंसी के राज्य पार्टी समन्वयक प्रांतिक चक्रवर्ती ने दावा किया कि डीन ने मौखिक रूप से उन्हें सूचित किया कि यह संभव नहीं है। इसके बाद प्रांतिक ने कहा कि अनुमति नहीं मिली तो प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के गेट के सामने पूजा करेंगे, आगामी 26 जनवरी को सरस्वती पूजा है, इसमें और दो दिन ही बचे हैं।
वहीं, कुणाल घोष ने कहा कि सरस्वती पूजा को लेकर बहस करने की जरूरत नहीं है। वहां तृणमूल छात्र परिषद मजबूत हो रहा है। वे सभी चाहते हैं कि सरस्वती पूजा का आयोजन हो, जो यह कहते हैं कि विश्वविद्यालय में धार्मिक आयोजन का रिवाज नहीं है, हम उनका सम्मान करते हैं। अगर यह प्रथागत है, तो तृणमूल छात्र परिषद के सदस्य गेट के ठीक बाहर सरस्वती पूजा का आयोजन करेंगे।