कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धुर विरोधी वरिष्ठ भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के केबिन में जाकर उनसे मुलाकात की है। यह शिष्टाचार मुलाकात बताई जा रही है। सूत्रों ने बताया है कि खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें मिलने के लिए अपने केबिन में बुलाया था। इस पर सकारात्मक रुख अख्तियार करते हुए शुभेंदु अपने साथ भाजपा के चीफ व्हिप मनोज टिग्गा, विधायक अग्निमित्रा पॉल को लेकर विधानसभा में ममता के केबिन में गए। कुछ देर के बाद बाहर निकले शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने चाय पर बुलाया था। यह केवल शिष्टाचार मुलाकात थी लेकिन हम लोग चाय नहीं पी सके।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने भी कहा कि शुभेंदु अधिकारी को चाय पिलाने के लिए मैंने बुलाया था। मेरे बुलावे पर नेता प्रतिपक्ष आए थे। इसके बाद विधानसभा में शुभेंदु अधिकारी को ममता ने भाई कह कर संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें भाई की तरह स्नेह करती थी। वे विधानसभा में लोकतंत्र को लेकर बात कर रहे थे।
शुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर अधिकारी का भी जिक्र शुक्रवार को ममता ने विधानसभा में किया। उन्होंने कहा कि जब तृणमूल कांग्रेस का गठन हुआ था तब आप (शुभेंदु) नहीं थे। शिशिर दा ( बंगाल में बड़े भाई को “दादा” या शार्ट में “दा” कहते हैं) हमारे खिलाफ उम्मीदवार थे। मैं उनका सम्मान करती हूं। दरअसल 1998 में तृणमूल के गठन के समय शिशिर अधिकारी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर तृणमूल के खिलाफ खड़े हुए थे लेकिन बाद में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे।
2021 के विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले तृणमूल छोड़कर शुभेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए थे। उसके बाद विधानसभा चुनाव में उन्होंने नंदीग्राम से ममता बनर्जी को चुनाव में शिकस्त भी दी। दोनों नेताओं के बीच तीखी जुबानी जंग पिछले दो सालों से चल रही है। पूरी तृणमूल कांग्रेस शुभेंदु के खिलाफ युद्धम देहि की मुद्रा में रहती है और शुभेंदु भी ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक के खिलाफ लगातार हमलावर रहते हैं। हालांकि शुक्रवार को रिश्तों पर जमी बर्फ गलती नजर आई है। दोनों नेताओं की मुलाकात की वजह से राज्य की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तृणमूल छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में जाने वाले जिन नेताओं से भी ममता बनर्जी ने मुलाकात की अथवा तृणमूल के किसी भी वरिष्ठ नेता से उन नेताओं की मुलाकात हुई, वे भाजपा छोड़कर तृणमूल में लौट चुके हैं।