आधुनिकता की ओर तेजी से अग्रसर कुछ भारतीय आज भले ही अंग्रेजी बोलने में अपनी आन, बान और शान समझते हों किन्तु सच यही है कि हिन्दी ऐसी भाषा है, जो प्रत्येक भारतवासी को वैश्विक स्तर पर मान-सम्मान दिलाती है। सही मायनों में विश्व की प्राचीन, समृद्ध एवं सरल भाषा है भारत की राजभाषा हिन्दी, […]
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हिंदी एक समृद्ध, वैज्ञानिक और विकासशील भाषा है। एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया […]
आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह और उपन्यास और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने अपने लेखन के माध्यम से न सिर्फ दासता के विरुद्ध आवाज उठाई बल्कि लेखकों के उत्पीड़न के विरुद्ध भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने उपन्यासों और कहानियों के अलावा नाटक, समीक्षा, लेख, संस्मरण इत्यादि कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। प्रेमचंद ऐसे कहानीकार […]
सेना के हाथ बंधे : एक दृष्टान्त भारतीय सेना को मणिपुर में 24 जून को पूर्व इम्फाल में गिरफ्तार 12 आतंकवादिओं छोड़ देना पड़ा। कांग्लेई यावल कांना लूप (KYKL) के गिरफ़्तार आतंकिओ में मोइरांगथेम ताम्बा उर्फ़ उत्तम भी शामिल था, जिसपर 2015 में चंदेल जिले में डोगरा रेजिमेंट पर हुए आतंकवादी हमला करवाने का मास्टरमाइंड […]
“मैंअकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग मिलते गए और कारवां बनता गया”। यह कांशीराम पर सटीक बैठता है। दूसरी तरफ, “लोग निकलते गए और कारवां सिमटता गया”। यह मायावती पर सटीक बैठता है. दरअसल, कांशीराम के समय के ‘चेहरे’ अब बहुजन समाज पार्टी से नदारद हैं। सेकंड लाइन लीडरशिप वाले नेता एक-एक करके पार्टी […]
– आर.के. सिन्हा एक मशहूर बिजनेस अखबार ने कुछ दिनों पहले यह खबर प्रकाशित कर दी कि भारत के प्राइवेट सेक्टर में नए साल 2023 में महिलाओं […]
-डॉ. वेदप्रताप वैदिक मल्लिकार्जुन खड़गे अब कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे, यह तो तय ही है। यदि अशोक गहलोत बन जाते तो कुछ कहा नहीं जा सकता था कि कांग्रेस का क्या […]
– सियाराम पांडेय ‘शांत भारत ने महात्मा गांधी की दांडी यात्रा से लेकर आज तक अनेक राजनीतिक यात्राएं देखी हैं। दांडी यात्रा को अपवाद मानें तो शेष राजनीतिक यात्राएं देशहित […]
– लोकेन्द्र सिंह सार्वजनिक जीवन में संवाद कला का बहुत महत्व है। व्यक्तिगत स्तर और छोटे समूह में लोगों को आकर्षित करना एवं उन्हें अपने से सहमत करना अपेक्षाकृत आसान होता है। किंतु, जन (मास) को अपने विचारों से सहमत करना और अपने प्रति उसका विश्वास अर्जित करना कठिन बात है। सार्वजनिक जीवन में काम […]
– डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अभी तो केरल में ही चल रही है। राहुल गांधी इसका नेतृत्व कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान भीड़-भाड़ भी ठीक-ठाक ही है। सवाल यह भी है कि देश के जिन अन्य प्रांतों से यह गुजरेगी, क्या वहां भी इसमें वैसा ही उत्साह दिखाई पड़ेगा, […]