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इतिहास के पन्नों में 30 मार्च : भारतीय सिनेमा के लिए खास दिन

भारतीय सिनेमा के लिए 30 मार्च महज तारीख नहीं है। इस तारीख का भारतीय सिनेमा के इतिहास में खास महत्व है। 30 मार्च 1992 को भारतीय सिनेमा के युगपुरुष सत्यजीत रे को आस्कर लाइफ टाइम अचीवमेंट मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यही नहीं देश के सिनेमा के इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों […]

इतिहास के पन्नों में : 29 मार्च – जब भड़की आजादी की चिंगारी

29 मार्च की तारीख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में काफी अहमियत रखता है। दरअसल साल 1857 में 29 मार्च को ही मंगल पांडे ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की पहली चिंगारी सुलगाई थी। मंगल पांडे द्वारा सुलगाई गई यह चिंगारी देखते ही देखते पूरे देश में आजादी की ज्वाला में बदल गई थी। […]

इतिहास के पन्नों में : 28 मार्च – आध्यात्म को समर्पित योगीराज, जिन्होंने गृहस्थ जीवन का भी त्याग नहीं किया

आध्यात्मिक नेता, दार्शनिक, वैश्विक शांति कार्यकर्ता योगीराज वेथाथिरी महर्षि ऐसे व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जिन्होंने गृहस्थ जीवन से नाता तोड़े बिना स्वदेशी सिद्ध परंपरा में जीवन व्यतीत किया। उन्होंने विश्व शांति के लिए 14 सिद्धांत प्रदान किए। इसके साथ दुनिया भर में 300 से अधिक योग केंद्रों की स्थापना की और तमिल व […]

इतिहास के पन्नों में : 27 मार्च – दुनिया एक रंगमंच, रंगमंच की दुनिया

27 मार्च अंतरराष्ट्रीय रंगमंच दिवस के रूप में मनाया जाता है। लोगों को रंगमंच के प्रति जागरूक करने के लिए 1961 में नेशनल थियेट्रिकल इंस्टीट्यूट द्वारा इसका चलन शुरू किया गया था। दुनिया भर में रंगमंच से संबंधित संस्था और समूहों की तरफ से हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय रंगमंच दिवस खास आयोजन के रूप में मनाया […]

इतिहास के पन्नों मेंः 26 मार्च – जब पूर्वी पाकिस्तान ने आजादी की घोषणा की

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब-उर-रहमान ने 26 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की आजादी की घोषणा कर दी थी। हालांकि तब वह पाकिस्तान का हिस्सा था। शेख मुजीब-उर-रहमान ने देश के लोगों से स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी का आह्वान किया। दरअसल, पूर्वी पाकिस्तान पर उर्दू थोपे जाने से जनता पहले से नाराज थी और पाकिस्तानी […]

इतिहास के पन्नों में : 25 मार्च – हरित क्रांति के जनक

‘भूख से मरने की बजाय जीएम अनाज खाकर मरना कहीं बेहतर है।’ -यह जवाब है हरित क्रांति के जरिये कृषि क्षेत्र का परिदृश्य बदलने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग का, जिनके खिलाफ पर्यावरण वादियों का मजबूत तर्क था कि कीटनाशक एवं रासायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल के साथ जमीन से ज्यादा पानी सोखने वाली फसलों […]

इतिहास के पन्नों में : 24 मार्च – हर रोज चार हजार लोगों की जान लेने वाला दैत्य

टीबी यानी ट्यूबरक्युलोसिस या तपेदिक की बीमारी। 24 मार्च 1882 को टीबी के वायरस की पहचान हुई इसलिए पूरी दुनिया में यह वर्ल्ड ट्यूबरक्युलोसिस डे के रूप में मनाया जाता है। जिसका लक्ष्य टीबी संक्रमितों में बीमारी को बढ़ने से रोकना और उनके जल्द से जल्द इलाज सुनिश्चित करना है। फेफड़ों की यह बीमारी हवा […]

इतिहास के पन्नों में : 23 मार्च – वे मुझे मार सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु- देश के अमर बलिदानियों की त्रयी ने देशप्रेम और उसके लिए दी गई कुर्बानियों को नया आयाम दिया। भगत सिंह का मशहूर कथन है- ‘मैं खुशी से फांसी चढ़ूंगा और दुनिया को दिखाऊंगा कि क्रांतिकारी कैसे देशभक्ति के लिए खुद को बलिदान कर सकते हैं।’ इन तीनों क्रांतिकारियों को जब […]

इतिहास के पन्नों में : 22 मार्च – एक स्वप्नदर्शी उद्योगपति

थ्रिस्सुर वेंगाराम सुन्दरम अयंगर उस दौर में ऑटोमोबाइल क्षेत्र के अग्रणी उद्योगपति थे, जब देश आजाद नहीं हुआ था। मोटर की सवारी आम भारतीयों के लिए दुर्लभ थी लेकिन इसे संभव कर दिखाया अयंगर ने। 22 मार्च 1877 को मद्रास प्रेसिडेंसी के थिरुनेल्वेली जिले के थिरुक्कुरुन्गुदी में जन्मे अयंगर का जीवन ऐसी दास्तान है, जिसके […]

इतिहास के पन्नों में : 21 मार्च – 21 तारीख और 21 माह के काले दौर का खात्मा

21 मार्च 1977 को 21 माह का स्याह दौर तब खत्म हो गया जब चौतरफा आलोचनाओं के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल खत्म किये जाने की घोषणा की। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के कहने पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने भारतीय संविधान की अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल […]