नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को आतंकवाद पर एक सुर और एक कदम ताल के साथ सीधा प्रहार करने का वैश्विक आह्वान करते हुए कहा कि युद्ध न होना शांति का प्रतीक नहीं है बल्कि छद्म युद्ध ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने कहा कि कुछ देश विचारधारा के हिस्से के रूप में आतंकवाद को समर्थन दे रहे हैं। ऐसे देशों के खिलाफ विश्व को एकजुट होकर कार्रवाई करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज होटल ताज पैलेस (नयी दिल्ली) में आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर तीसरे ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (‘नो मनी फॉर टेरर’ – एनएमएफटी) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया। इस वैश्विक सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने आतंकवाद पर एकजुट होकर कार्रवाई करने के महत्व को रेखांकित किया।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के प्रयासों में चीन की रुकावट पर भी प्रधानमंत्री ने परोक्ष हमला किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को रोकने के लिए आतंकवाद के समर्थन में अप्रत्यक्ष कारण दिए जाते हैं। इस तरह के ढुलमुल रवैये की वैश्विक खतरे से निपटने के दौरान कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
आतंक को लेकर कुछ गलत धारणाओं के कारण सामूहिक प्रयासों पर आ रही बाधाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके खतरे के बारे में दुनिया में किसी को याद दिलाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। सभी तरह के आतंकी हमलों की एक साथ ऊंचे स्वर में निंदा और कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। आतंकवादी हमला कहां होता है, इस पर हमारी प्रतिक्रिया आधारित नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा-“एक समान, एकीकृत और जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण के साथ ही आतंकवाद को हराया जा सकता है।” प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के उपाय पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि इसके लिए आगे बढ़कर बड़े स्तर पर और चरणबद्ध तरीके से काम करना होगा। हमें आतंकवाद को समर्थन देने वाले नेटवर्क और उसका वित्त पोषण करने वाले स्रोतों पर सीधा प्रहार करना होगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त कार्रवाई, खुफिया जानकारी में आपसी सहयोग और प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकते हैं।
आतंकवाद को मदद पहुंचाने वाले स्रोतों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जग जाहिर है कि आतंकी संगठन कई स्रोतों से धन प्राप्त करते हैं। पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा कि आतंक को फंडिंग का एक स्रोत कुछ देशों का इसे सीधे मदद पहुंचाना है। कुछ देश अपनी विदेश नीति के तौर पर आतंकवाद इस्तेमाल करते हैं। वहीं संगठित अपराध भी आतंकवाद को धन मुहैया कराने का एक स्रोत है। ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान आतंकवाद के तौर-तरीकों में आ रहे बदलावों का भी विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि लगातार विकसित होती तकनीक चुनौती और समाधान दोनों हैं। हमें समाधान की ओर अग्रसर होना होगा। भारत विश्व के आतंकवाद को पहचानने से पहले इसके स्याह चेहरे से रूबरू हो चुका था। अलग-अलग रूपों में आतंकवाद ने भारत को नुकसान पहुंचाया जिसमें हमने हजारों कीमती जान गंवाई लेकिन भारत ने आतंकवाद का कड़ाई से सामना किया है। हमारे लिए हर जान कीमती है। हम आतंकवाद के खात्मे से पहले तक नहीं रुकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय तक आतंकवाद का दंश गरीब और स्थानीय अर्थव्यवस्था को झेलना पड़ता है। सम्मेलन की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के डीजी दिनकर गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति और उसके लिए दिए गए मजबूत और दृढ़ नेतृत्व के साथ-साथ पूरे सरकार के दृष्टिकोण ने देश के सुरक्षा परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। पिछले साढ़े आठ वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में आतंकवादी गतिविधियों में उल्लेखनीय कमी आई है। इस अवधि के दौरान भारत पर आतंकवाद के समग्र आर्थिक प्रभाव में भी बड़ी कमी आई है।
उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय सम्मेलन में कई देशों का प्रतिनिधित्व है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान को इस सम्मेलन से दूर रखा गया है। 18-19 नवंबर को आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन भाग लेने वाले देशों और संगठनों को आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता के साथ-साथ उभरती चुनौतियों के समाधान हेतु आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगा।
यह सम्मेलन पिछले दो सम्मेलनों (अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में आयोजित) के अनुभव और सीख पर आगे बढ़ेगा और आतंकवादियों को वित्त से वंचित करने और अपनी कार्ययोजनाओं को संचालित करने के क्रम में अनुमति प्राप्त अधिकार क्षेत्र तक पहुंच सुविधा के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में विचार-विमर्श करेगा। सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हैं।
सम्मेलन के दौरान चार सत्रों में विचार-विमर्श किया जाएगा, जो ‘आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण में वैश्विक रुझान’, ‘आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग’, ‘उभरती प्रौद्योगिकियां और आतंकवादी वित्तपोषण’ और ‘आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने में चुनौतियों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’ पर केंद्रित होंगे।