कारवां ए ग़ज़ल में बिखरी राजेश रेड्डी और डॉ. सुनील कुमार शर्मा के शायरी की खुशबू

◆ डॉ. सुनील कुमार शर्मा की ग़ज़ल ‘जंगल जंगल’ पर निर्मित वीडियो भी हुआ रिलीज

◆ देश के प्रसिद्ध गज़लकार राजेश रेड्डी, डॉ. सुनील कुमार शर्मा, विनीत पांडेय, चरणजीत चरण और अमूल्य मिश्रा ने शिरकत⁠ की

कोलकाता: महानगर में रविवार को आयोजित गजल की महफिल ‘कारवां ए ग़ज़ल’ में देश के प्रसिद्ध शायर राजेश रेड्डी, डॉ. सुनील कुमार शर्मा, विनीत पांडेय, चरणजीत चरण और अमूल्य मिश्रा ने हिस्सा लिया और अपने कलामों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके हुई। उद्घाटन के उपरांत कोलकाता के लोकप्रिय कवि एवं शायर डॉ. सुनील कुमार शर्मा की ग़ज़ल पर निर्मित वीडियो फ़िल्म ‘जंगल जंगल’ को प्रतिष्ठित शायर राजेश रेड्डी द्वारा रिलीज किया गया।

कारवां ए ग़ज़ल की शुरुआत करते हुए अमूल्य मिश्रा ने पढ़ा- वो जिस की मर्ज़ी से आए हैं इस सदी में हम/मिलेंगे उस से मगर आख़िरी घड़ी में हम/तुम्हारी याद मुझे ऐसे ढूँढती है दोस्त/चराग़ ढूँढते हैं जैसे तीरगी में हम। शायर चरणजीत चरण यूं नमूदार हुए- जो मोहब्बत में हद से गुजर जाते हैं, वो किधर जाते हैं/तेरी चाहत में जो लोग मर जाते हैं वो किधर जाते हैं/तुझसे बिछड़े तो हम ये कहां आ गए, कुछ पता है तुझे/शाख से टूट कर जो बिखर जाते हैं, वो किधर जाते हैं।

शायर एवं कार्यक्रम के संचालक विनीत पांडेय ने यूं पढ़ा – बड़ी सी फिक्र बच्चों की हँसी से हार जाती है/कभी शब जगनुओं की रौशनी से हार जाती है/नतीजा ही अजब होता है जंग ए जिंदगी का ही/अना अक्सर यहां पर मुफलिसी से हार जाती है।

शहर के अपने लोकप्रिय शायर डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने अपने कलाम से महफ़िल को मंत्रमुग्ध करते पढ़ा कि- एक दिलासा थपकी लोरी कितनी ताक़त बो जाते हैं/मुश्किल दर्द मुसीबत जिसके आगे बौने हो जाते हैं/मजबूरी का पत्थर सीने पर रखकर माँ ने बोला था/भूख लगे तो अच्छे बच्चे आँसू पीकर सो जाते हैं। मुशायरा के अंत में मकबूल शायर राजेश रेड्डी ने खूबसूरत समां बांधा। उन्होंने जब पढ़ा- किसी दिन ज़िंदगानी में करिश्मा क्यूँ नहीं होता/मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ ज़िंदा क्यूँ नहीं होता/मेरी एक ज़िंदगी के कितने हिस्से-दार हैं लेकिन/किसी की ज़िंदगी में मेरा हिस्सा क्यूँ नहीं होता, तो महफिल तालियों से गुलज़ार हो गई।

आयोजक सुनील गोयनका ने शायरों का स्वागत करते हुए कहा साहित्य आज के समय में समाज की जरूरत है। जिंदगी और शायरी के तमाम रंगों से सजी इस शाम में शहर के साहित्य एवं कला प्रेमियों की बड़ी संख्या में मौजूदगी रही। ग़ज़ल के वीडियो लॉन्च के अवसर पर भी लेखक के अलावा कलाकार प्रज्ञा झा, डॉ. महामाया शर्मा एवं आकांक्षा समेत साहित्य व संगीत से जुड़े लोग मौजूद रहे।

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