म्यांमार में भूकंप के बाद का मंजर खौफनाक, मांडले में मलबे में दबे लोगों के जीवित होने की उम्मीद क्षीण

नाएप्यीडॉ (म्यांमार) : म्यांमार के मांडले शहर में भूकंप के बाद तबाही का मंजर खौफनाक है। समय गुजरने के साथ मलबे में दबे लोगों के जीवित होने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं। म्यांमार और पड़ोसी थाईलैंड में आए शक्तिशाली भूकंप में कम से कम 1,700 लोगों की मौत हो चुकी है। भूकंप के बाद की तीसरी रात लोगों ने खुले में सोकर बिताई। मांडले में सोमवार सुबह राहत और बचाव कार्य बेहद धीमी गति से शुरू हुआ है। यहां बहुत सूरज आसमान से आग बरसा रहा है। सवेरे का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा।

बैंकॉक पोस्ट अखबार की खबर के अनुसार, मांडले में चिपचिपी गर्मी ने बचाव कर्मियों को थका दिया है। शवों के सड़ने से उनकी पहचान करना मुश्किल हो सकता है। राहत और बचाव कर्मचारियों ने रविवार शाम मांडले में 55 घंटे से ज्यादा समय से मलबे में फंसी एक जीवित गर्भवती महिला को निकालने की कोशिश की। उन्होंने उसे निकालने के लिए उसका पैर काटा, लेकिन बाहर निकालने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस बीच, आज सुबह ईद-उल-फितर की नमाज के लिए लोग शहर की एक नष्ट हो चुकी मस्जिद के पास इकट्ठा हुए। आज यहां सैकड़ों लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार होने की उम्मीद है।

शुक्रवार दोपहर को मांडले के पास 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके कुछ मिनट बाद 6.7 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटकों से इमारतें ढह गईं। पुल गिर गए और सड़कें उखड़ गईं। भूकंप से मध्य म्यांमार में सबसे अधिक तबाही हुई है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज ने रविवार को पीड़ितों की मदद के लिए 100 मिलियन से अधिक लोगों के लिए आपातकालीन सेवा शुरू की।

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक मांडले से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर है। बैंकॉके में शुक्रवार को भूकंप के समय निर्माणाधीन इमारत ढह गई थी। इसके मलबे करीब 78 लोगों के दबे होने की आशंका है। आज यहां हुई बारिश की वजह से राहत और बचाव कार्य को बंद कर दिया गया है। ढही हुई इमारतों के मलबे में जीवन के संकेतों की तलाश के लिए खोजी कुत्तों और थर्मल इमेजिंग ड्रोन को तैनात किया गया है। उल्लेखनीय है कि मांडले म्यांमार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इरावदी नदी के पूर्वी तट पर स्थित इस शहर की जनसंख्या 1,225,553 (2014 की जनगणना) है।

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