लखनऊ : अपने परिवार की बगावत से घिरे अखिलेश यादव के लिए विधानसभा क्षेत्र चुनाव लड़ने का मामला भी पेचीदा होता जा रहा है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों के अनुसार जन्मक्षेत्र और कर्मक्षेत्र अर्थात पूर्वांचल और पश्चिमांचल के बीच वे कहां से लड़ें, इस पर पेंच फंसा हुआ है। इस बात पर मंथन चल रहा है कि कहां से लड़ाने पर अधिक फायदा हो सकता है।
ऐसा माना जा रहा है कि अभी तक अखिलेश यादव के लिए कन्नौज की छिबरामऊ, मैनपुरी की करहल और सदर सीट के साथ ही आजमगढ़ की गोपालपुर को उनके लिए मुफीद बताया जा रहा है। उधर गुन्नौर सीट पर भी चर्चा चल रही है। इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी भी अखिलेश यादव को चुनाव मैदान में उतारने के लिए विवश होती जा रही है।
यह बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां भाजपा ने सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से टिकट दिया है वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अभी भी सीटों के फेर में फंसे हुए हैं। इधर बुआ और बबुआ का बार-बार नाम लेकर भाजपा अखिलेश यादव का सिरदर्द बढ़ाती जा रही है।
समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना है कि भाजपा के बड़े नेताओं को पार्टी में लाने के बाद सपा ने जो बढ़त हासिल की थी, वह भाजपा ने अर्पणा को लेकर घर में ही सेंध लगाने का काम कर दिया। इससे चुनाव पर ज्यादा असर तो नहीं होगा लेकिन भाजपा द्वारा चुनाव में मुद्दा उठाने का अच्छा मौका मिल गया। वे बार-बार इसी का जिक्र करेंगे कि जो अपने घर को नहीं संभाल सकते, वे प्रदेश को क्या संभालेंगे। ऐसे में यदि अखिलेश यादव विधान सभा चुनाव नहीं लड़ते तो भाजपा के लिए दूसरा बड़ा मुद्दा मिल जाएगा। इस कारण इनका चुनाव लड़ना जरूरी है।