कोलकाता : पश्चिम बंगाल के आपदा प्रबंधन मंत्री जावेद अहमद खान के बेटे फ़ैज अहमद खान, राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री शशि पांजा की बेटी पूजा पाँजा, राज्य की शहरी विकास मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के बेटे सौरभ बसु तृणमूल के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे ही कई अन्य हैं जो राजनीति में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की दूसरी पीढ़ी का परचम लहराने का संकेत दे रहे हैं।
विधायक स्वर्णकमल साहा के बेटे संदीपन साहा और पूर्व डिप्टी मेयर और पूर्व विधायक इकबाल अहमद की बेटी सना जैसे निवर्तमान पार्षद भी फिर से जीते हैं।
शशि ने दिवंगत अजीत पांजा की बहू के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था। पिछले 10 साल में श्यामपुकुर की विधायक शशि ने राज्य की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है। इस बार पार्टी ने श्यामपुकुर के वार्ड नंबर 8 से उनकी वकील बेटी पूजा पाँजा को मैदान में उतारा था। निवर्तमान पार्षद पार्थ मित्रा ने बगावत कर दी। उनका नाम कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में भी घोषित किया गया था। वैसे, पार्थ ने स्पष्ट कर दिया कि भले ही उन्हें टिकट नहीं मिला है लेकिन वह तृणमूल कांग्रेस के लिए ही काम करेंगे।
तृणमूल ने राज्य के एक अन्य मंत्री चंद्रिमा के बेटे सौरभ को वार्ड संख्या 86 में उतारा था। भाजपा उम्मीदवार दिवंगत तीस्ता दास ने वहां 2015 का उपचुनाव जीता था। इस वार्ड से सौरभ ही जीते हैं। कसबा से विधायक और मंत्री जावेद खान खान के बेटे फ़ैज अहमद खान पिछली बार भी वार्ड नंबर 66 से तृणमूल के उम्मीदवार थे। उनके पिता उस वार्ड में 15 साल और माँ पांच साल तक पार्षद रहीं। फ़ैज, जिनके पास ऑस्ट्रेलिया से मैनेजमेंट की डिग्री है, झुग्गीवासियों की समस्या को हल करने के वादे वादे लेकर चुनावी मैदान में उतरे थे।
दिवंगत आरएसपी नेता और वामपंथी मंत्री क्षिति गोस्वामी की बेटी वसुन्धरा गोस्वामी वार्ड नंबर 96 से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार थीं। वह भी चुनाव जीत चुकी हैं। पिछली बार की तरह वार्ड नंबर 62 में तृणमूल ने सना को मैदान में उतारा था। उनके पिता इकबाल भी उस वार्ड के पार्षद थे। दिवंगत पूर्व राज्य मंत्री सुल्तान अहमद की भतीजी सना आसानी से चुनाव जीत चुकी हैं। इसी तरह स्वर्णकमल साहा के पुत्र संदीपन वार्ड संख्या 52 के पार्षद थे। इस बार वे वार्ड नं. 58 से उम्मीदवार बनाए गए थे जो उनके लिए नया था। वैसे वह भी चुनाव जीत चुके हैं।