कोलकाता : प्रधानमंत्री आवास योजना के फंड में कथित हेराफेरी का मामला पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा हाई कोर्ट में स्वीकार किए जाने पर हाई कोर्ट के न्यायाधीश भी हैरान रह गए। कलेक्टर स्तर के अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कदम न उठाने पर कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई। न्यायमूर्ति रवि किशन कपूर ने संबंधित अधिकारियों को मामले में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है।
इस मामले की सुनवाई गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में हुई। मामले में याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत प्राप्त फंड की राशि उनके बैंक खातों में न भेजकर अन्य खातों में ट्रांसफर कर दी गई। ये शिकायत कैनिंग के इटखोला पंचायत के हेरोभांगा गांव के पांच निवासियों ने दर्ज कराई, जिनमें सिराजुल मंडल, सलीम मोल्ला, अकरम मोल्ला, शम्सुल आलम मोल्ला और माबूअली मोल्ला शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि उनके फंड को जानबूझकर किसी अन्य बैंक खाते में स्थानांतरित किया गया। इस मामले में जब राज्य सरकार से जवाब मांगा गया तो उन्होंने आरोपों को सही पाया और स्वीकार किया कि पांचों लाभार्थियों के खाते में भेजे जाने वाले पैसे किसी अन्य व्यक्ति के खाते में भेजे गए थे। राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि धनराशि वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
न्यायाधीश ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि संबंधित ब्लॉक डेवेलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) और पंचायत प्रमुख को आवश्यक कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही बीडीओ से सभी संबंधित अधिकारियों की जानकारी लिखित में अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग के सचिव को भी इस बारे में जानकारी देने और आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया गया है। न्यायाधीश ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि ऐसी परिस्थिति में आपराधिक मामला दायर करने में अब तक देरी क्यों की गई।
कोर्ट ने इस मामले को सुनते हुए पाया कि पांचों लाभार्थियों के खातों की जानकारी में जानबूझकर हेरफेर किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह संयोग मात्र नहीं हो सकता क्योंकि पांचों मामलों में एक जैसे तरीके से पैसा गलत खातों में ट्रांसफर हुआ। इस पर न्यायाधीश ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने सब कुछ जानते हुए भी अभी तक आपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं किया? इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होने की संभावना है।