कोलकाता : पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर में एक नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी करार दिए गए मुस्ताकिन सरदार को बारूईपुर अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने 61 दिनों के भीतर इस मामले की सुनवाई पूरी कर शुक्रवार को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
गुरुवार को बारूईपुर फास्ट एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज कोर्ट के जज सुब्रत चट्टोपाध्याय ने मुस्ताकिन सरदार को दोषी करार दिया था। शुक्रवार को सजा पर सुनवाई के बाद अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। साथ ही मृतका के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया।
सरकारी वकील विभास चट्टोपाध्याय ने कहा, “यह घटना नृशंस और दुर्लभतम मामलों में से एक थी। हमने फांसी की मांग की थी और अदालत ने इसे स्वीकार किया। इस मामले में डीएनए प्रोफाइल ने अहम भूमिका निभाई, जिससे संदेह की कोई गुंजाइश नहीं रही।”
क्या है मामला
गत चार अक्टूबर की शाम को पीड़िता, जो ट्यूटर के पास पढ़ने गई थी, घर लौटते समय लापता हो गई। उसके परिवार ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उसी रात उसके घर के पास जलाशय से उसका शव बरामद हुआ। पुलिस ने उसी रात मुस्ताकिन सरदार को गिरफ्तार कर लिया।
घटना के बाद इलाके में भारी आक्रोश फैल गया। स्थानीय लोगों ने पुलिस और नेताओं पर हमला किया। शुरुआत में पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में अदालत के निर्देश पर पोक्सो की धाराएं जोड़ी गईं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया और शीघ्र न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। 26 दिनों के भीतर, 30 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की गई और पांच नवंबर से गवाहों के बयान दर्ज किए गए। मामले में कुल 36 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
19 वर्षीय मुस्ताकिन ने अदालत में कहा कि वह निर्दोष है और उसके माता-पिता के अलावा परिवार में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उसने अदालत से माफी की गुहार लगाई। हालांकि, सरकारी वकील ने दलील दी कि अपराध पूर्व-नियोजित और नृशंस था। पीड़िता के शरीर पर 38 चोटों के निशान थे, और उसकी हत्या विश्वासघात के साथ की गई थी।
61 दिनों में आया ऐतिहासिक फैसला
इस मामले में 61 दिनों में सुनवाई पूरी होने और दोषी को फांसी की सजा मिलने पर पश्चिम बंगाल पुलिस ने अपने आधिकारिक हैंडल पर लिखा, “जस्टिस फॉर जयनगर! यह फैसला ऐतिहासिक है। 61 दिनों में दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषी को फांसी का आदेश पश्चिम बंगाल में पहली बार हुआ है। हमारा उद्देश्य पीड़िता और उसके परिवार को शीघ्र न्याय दिलाना था। यह हमारे लिए संतोषजनक है कि उन्हें लंबे समय तक न्याय के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा।”
जयनगर कांड का यह फैसला एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है, जहां न्याय प्रक्रिया तेजी से पूरी की गई।