तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यार्पण का रास्ता साफ, अमेरिकी अदालत ने खारिज की फैसले पर रोक की मांग

वॉशिंगटन : मुंबई आतंकवादी हमले के आरोपित तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। भारत प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की उसकी मांग अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।

तहव्वुर ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील कर कहा था कि उसे भारत प्रत्यर्पित न किया जाए। उसने इमरजेंसी स्टे की मांग करते हुए कहा था कि भारत भेजे जाने पर उसे टॉर्चर किया जा सकता है। वह मुस्लिम है और पाकिस्‍तानी मूल का है इसलिए उसे ज्यादा खतरा है। उसने अपने खराब स्वास्थ्य का भी हवाला देते हुए प्रत्यार्पण पर रोक की मांग की थी।

पाकिस्‍तान मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा (64) को लॉस एंजिलिस के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। वह 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है। अमेरिका में उसे आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा के लिए काम करने का दोषी पाया गया और भारत लंबे समय से उसके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। पिछले महीने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा और वह भारत जाकर न्याय का सामना करेगा।

इससे पहले जनवरी में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी, क्योंकि कोर्ट ने मामले में उसकी समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी।

26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने मुंबई में लगभग 60 घंटे तक चले हमले में 166 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी। हमले के बाद आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। नवंबर 2012 में कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।

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