अलविदा 2023 : बंगाल के लिए खास रहा यह साल, एक हुए धुर राजनीतिक विरोधी तो केंद्रीय एजेंसियों की धर पकड़ से मचा रहा हड़कंप

कोलकाता : वर्ष 2023 को तीन दिनों बाद अलविदा कह दिया जाएगा और साल 2024 में पदार्पण होगा। हर साल की तरह 2023 भी कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। एक तरफ जहां बंगाल में एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे तृणमूल और माकपा-कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक विरोध भुलाकर एक मंच पर राष्ट्रीय स्तर पर नजर आए तो दूसरी तरफ राज्य में शिक्षक नियुक्ति, नगर पालिका नियुक्ति, राशन वितरण, कोयला और मवेशी तस्करी के मामले में केंद्रीय एजेंसियों सीबीआई और ईडी की धर पकड़ से हड़कंप मचा रहा। आइए हम माहवार तरीके से बताते हैं इस साल क्या-क्या हुई मुख्य घटनाएं।

फरवरी – चार फरवरी को युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने धारा 144 लागू होने के बावजूद सैकड़ो की संख्या में राजभवन के पास एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया। 25 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था।

20 जून – कुलपति की नियुक्ति से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की पीठ में हुई। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने फैसले को संरक्षित कर लिया।

28 जून को 11 विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने के फैसले को जायज ठहराया।

23 जून को बिहार की राजधानी पटना में केंद्र सरकार के खिलाफ 15 विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई। इसमें ममता बनर्जी के साथ एक मंच पर कांग्रेस और वाम दलों के नेता थे।

21 जुलाई – धर्मतल्ला में विक्टोरिया हाउस के सामने की तृणमूल शहीद दिवस रैली, जिसमें भाजपा नेताओं के घरों की घेराव की घोषणा की गई थी। हालांकि बाद में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

09 अगस्त को जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रावास में प्रथम वर्ष के छात्र स्वप्नदीप कुंडू की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई। बाद में पता चला कि कॉलेज के सीनियर्स ने उसकी रैगिंग की थी, जिसकी वजह से वह चौथी मंजिल से नीचे कूद गया था। मामले में 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में वामपंथी छात्रों की संलिप्तता के आरोप लगाए थे।

12 सितम्बर को राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

दो अक्टूबर को 100 दिनों की रोजगार गारंटी योजना के लिए केंद्रीय फंड की मांग पर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया। उसके बाद बंगाल लौटकर चार अक्टूबर को राजभवन के पास मंच बनाकर राज्यपाल से मिलने की जिद पर अभिषेक अड़ गए थे। आखिरकार उनकी मुलाकात राज्यपाल से हुई लेकिन पांच दिनों तक धरना जारी रहा। बाद में राज्यपाल ने इस मामले को केंद्र सरकार के पास उठाया था।

26 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने कई करोड़ रुपये के राशन वितरण घोटाले में देर रात को पश्चिम बंगाल के वन राज्यमंत्री और तृणमूल नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार कर लिया। मल्लिक पहले राज्य के खाद्य मंत्री थे जब राशन वितरण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ।

27 अक्टूबर को दुर्गा पूजा बीतने के बाद राज्य की सर्वश्रेष्ठ पूजा प्रतिमाओं को लेकर कोलकाता के राजपथ रेड रोड पर दुर्गा पूजा कार्निवल हुआ था।

26 नवंबर को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, फेडरेशनों और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी तीन दिवसीय विरोध रैली कोलकाता के रानी रासमणि रोड पर निकाली गई। यह कार्यक्रम 28 नवंबर तक चला।

29 नवंबर को कोलकाता में उसी जगह पर भाजपा ने विशाल जनसभा की जहां तृणमूल कांग्रेस की शहीद दिवस रैली होती है। यहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया और ममता बनर्जी को चुनौती देकर कह गए थे कि बंगाल में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम हर हाल में लागू होगा।

9 दिसंबर को एसएलएसटी नौकरी उम्मीदवारों ने कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलन के 1000 दिन पूरे होने पर यह विरोध प्रदर्शन हुआ। धर्मतल्ला में गांधी मूर्ति के पास नौकरी उम्मीदवारों का धरना प्रदर्शन जारी है।

14 दिसंबर को बर्दवान स्टेशन पर पानी की टंकी टूट कर गिर गई जिसमें दबने से तीन लोगों की मौत हो गई है। 30 अन्य लोग घायल हो गए थे।

18 दिसंबर को कलकत्ता हाई कोर्ट में अवमानना के एक मामले में एक वकील को जस्टिस अभिजीत गांगुली ने शेरीफ के हवाले कर दिया था। इसके बाद बार एसोसिएशन ने उनकी कोर्ट का बहिष्कार शुरू कर दिया। बाद में 21 दिसंबर को वह बार रूम में गए थे और वकीलों से बातचीत कर नव वर्ष में नए उत्साह के साथ काम करने के लिए मनाया तब जाकर बहिष्कार खत्म हुआ।

21 दिसंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए एक जनवरी से चार फीसदी महंगाई भत्ता की घोषणा की।

22 दिसंबर को कलकत्ता उच्च न्यायालय की अनुमति से राज्य सरकार के कर्मचारियों ने केंद्रीय पैमाने के मुताबिक डीए देने की मांग पर राज्य सचिवालय नवान्न के सामने दो दिवसीय धरना दिया था।

23 दिसंबर को कुलाधिपति-राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने जादवपुर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर कुलपति बुद्धदेव साव को हटा दिया।

24 दिसंबर को कुलाधिपति की अनुपस्थिति में विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिस पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है।

24 दिसंबर को कोलकाता एक अनुपम आयोजन का साक्षी रहा। कोलकाता के सबसे बड़े ब्रिगेड परेड मैदान में एक लाख से अधिक लोगों ने एक साथ गीता पढ़ी जो विश्व रिकॉर्ड बना।

26 दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल में पहले गुरुद्वारे में प्रार्थना की, उसके बाद मशहूर शक्तिपीठ कालीघाट में पूजा अर्चना की। इसके बाद पार्टी की कोर कमेटी समेत तीन बड़ी बैठकें कर 2024 के लोकसभा चुनाव में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य देकर गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *