कोलकाता : केंद्र की सत्ता से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कांग्रेस की अगुवाई में बना विपक्षी इंडी गठबंधन पश्चिम बंगाल में टूटता दिख रहा है। कांग्रेस और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि दोनों लोकसभा चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे। इससे चुनाव पूर्व विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है।
लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में 24 घंटे पहले जमकर बयानबाजी हुई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘‘सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस तृणमूल से सीट की भीख नहीं मांगेगी।’’ इस पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, ‘‘गठबंधन सहयोगियों को बुरा-भला कहना और सीट साझा करना एक साथ नहीं चल सकता।’’
इस पर तृणमूल के कट्टर आलोचक चौधरी ने बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी पर विपक्षी गठबंधन को मजबूत करने के बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सेवा में व्यस्त होने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया। उनकी टिप्पणी पर तृणमूल की तीखी प्रतिक्रिया आई। इसमें चौधरी की आलोचना करते हुए सीधे कांग्रेस आलाकमान को चेतावनी दी गई कि वह अपने प्रदेश अध्यक्ष पर लगाम लगाए। दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा विवाद की वजह बना हुआ है। बताया जा रहा है कि तृणमूल केवल दो सीट कांग्रेस को देना चाहती है, लेकिन कांग्रेस की बंगाल इकाई को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है।
ममता दे चुकी हैं अलग चलने के संकेतः
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले महीने ही कांग्रेस से अलग चलने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि बंगाल में तृणमूल को किसी के साथ की जरूरत नहीं है, भाजपा के खिलाफ अकेले लड़ेंगे। उन्होंने कांग्रेस और माकपा पर भी भाजपा के साथ तालमेल के आरोप लगाए थे।
बंगाल की राजनीतिक स्थितिः वर्ष 2019 के चुनाव में तृणमूल ने लोकसभा की कुल 42 में से 22 सीटों पर और कांग्रेस ने दो सीट (बेहरामपुर और मालदा दक्षिण) में जीत दर्ज की थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 18 सीटें जीती थीं। कांग्रेस नेता चौधरी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र बहरमपुर में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘तृणमूल बंगाल में गठबंधन को मजबूत करने को लेकर गंभीर नहीं है। तृणमूल खुद को सीबीआई और ईडी के चंगुल से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुश करने और उनकी सेवा करने में लगी हुई है।’’
कांग्रेस को चार सीट देने पर टीएमसी तैयारः
तृणमूल के कुछ नेता कहते हैं कि पार्टी 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को चार सीट देना चाहती है। दोनों पार्टियां पहले भी गठबंधन कर चुनाव लड़ चुकी हैं। इनमें वर्ष 2001 का विधानसभा चुनाव, 2009 का लोकसभा चुनाव और 2011 का विधानसभा चुनाव शामिल है। वर्ष 2011 में कांग्रेस-टीएमसी गठबंधन ने पश्चिम बंगाल में 34 वर्षीय वाममोर्चा शासन का अंत कर दिया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 से कांग्रेस वामदलों के साथ मिलकर लगातार तृणमूल के खिलाफ चुनाव लड़ती रही है।