कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर राज्य के प्रत्येक जिले में दो राजकीय अस्पतालों को कोरोना डेडिकेटेड करने का निर्णय लिया है। कोरोना के नए वेरिएंट बीएफ-7 के तेज संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
राज्य स्वास्थ्य समिति के निदेशक एस. नियोगी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अभी तक राज्य के मूल निवासियों में एक भी संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है इसलिए फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन तैयारियां पहले से की जा रही हैं। इसकी वजह है कि दमदम हवाई अड्डा न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों का मुख्य गंतव्य बिंदु है। यहां दुनियाभर से आने वाले लोग उतरते हैं और न केवल बंगाल के विभिन्न हिस्सों में बल्कि असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, नगालैंड जैसे राज्यों के लिए भी जाते हैं। इसलिए यहां दूसरे राज्यों के मुकाबले संक्रमण अधिक रहता है। इसीलिए हमलोगों ने तैयारियां पूरी रखी हैं। राज्य के सभी जिलों में दो राजकीय अस्पतालों को कोरोना डेडिकेटेड कर दिया गया है। बीएफ-7 का संक्रमण दुनिया के अन्य देशों- चीन, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका में हो रहा है, वह बेहद खतरनाक है। चीन में तो मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह नहीं बची है जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और जापान में भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है। ऐसे में निश्चित तौर पर भारत में संक्रमण आएगा और पश्चिम बंगाल भी अछूता रहने वाला नहीं है। इसीलिए पूरे हालात पर नजर रखी जा रही है। स्थिति के मुताबिक कदम उठाया जाएगा। मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा तैयारियों के लिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, जिला और अनुमंडल अस्पताल में व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
एक अन्य अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना के लक्षणों के साथ जो मरीज भर्ती हो रहे हैं उनकी संख्या बहुत कम है जबकि स्वस्थ होने वालों की संख्या तुलनात्मक तौर पर अधिक है। इसीलिए फिलहाल चिंता तो नहीं है लेकिन संक्रमण बढ़ने पर राज्यवासियों में दहशत होगी। उसे समझते हुए पहले से ही तैयारियां शुरू की गई हैं। फिलहाल 23 जिलों के प्रत्येक दो अस्पतालों में कोरोना डेडिकेटड यूनिट तैयार कर ली गयी है। एहतियात के तौर पर मरीजों की चिकित्सा व्यवस्था की गई है। इस बार कोशिश होगी कि कोरोना की दूसरी या तीसरी लहर की तरह राज्य में बीएफ-7 से मरने वालों की संख्या भी कम रहे।