पत्रकार कृष्ण कुमार शाह और फोटो पत्रकार सुधीर उपाध्याय को श्रद्धांजलि

कोलकाता : शुक्रवार को पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज और डायलॉग सोसायटी ने जन संसार सभागार में पत्रकार कृष्ण कुमार शाह और फोटो पत्रकार सुधीर उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी। छपते छपते दैनिक और ताजा टीवी के संपादक विश्वम्भर नेवर ने श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता की।

वरिष्ठ नाट्य समीक्षक प्रेम कपूर ने सभा का संचालन करते हुए कहा कि कृष्ण कुमार शाह और सुधीर उपाध्याय दोनों अपने पेशे के प्रति पूरी तरह समर्पित थे। कृष्ण कुमार शाह बहुत मेहनती पत्रकार थे।

डायलॉग सोसायटी की ओर से कवयित्री कुसुम जैन ने कहा कि आज की अवसरवादिता वाली पत्रकारिता के समय कृष्ण कुमार शाह जैसे निष्ठावान मेहनती पत्रकार विरल हैं। जनसत्ता के 21 सालों के सहयोगी कथाकार – पत्रकार विनय बिहारी सिंह ने कहा, ‘कृष्ण कुमार शाह जैसा इतना सीधा, सरल, निष्कपट, निर्मल पत्रकार नहीं मिलेगा। उनकी रिपोर्ट बहुत कसी होती थी, डूबकर लिखते थे। अकेला व्यक्ति जिनका किसी से तनाव नहीं हुआ।’

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जनसत्ता के साथी डॉ. मन्धाता सिंह ने कहा, ‘कृष्ण कुमार शाह हरफनमौला पत्रकार थे। जब कृष्ण कुमार शाह जनसत्ता में थे तब जनसत्ता का असर था। उनके बारे में संस्मरण प्रकाशित होना चाहिए।’ प्रेस क्लब, कोलकाता के पूर्व अध्यक्ष राज मिठौलिया ने कहा, ‘कृष्ण कुमार शाह अजातशत्रु थे। राइटर्स बिल्डिंग के प्रेस कार्नर के सारे पत्रकार उनके टिफिन के लिए आने की बाट जोहते थे। दोनों से बहुत पुराना सम्बन्ध था। आज पत्रकारिता खेमे में बँट गयी है। उस समय पत्रकारिता तटस्थ थी। कृष्ण कुमार शाह जैसे पत्रकार हिंदी में बहुत कम होंगे। सुधीर उपाध्याय बहुत बड़े फोटोग्राफर थे। वे किसी से दबते नहीं थे।’

इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्णदास पार्थ ने कहा, ‘जनसत्ता में कृष्ण कुमार शाह मेरे सीनियर थे। वे जूनियर को प्रोत्साहित करते थे। वे अपने सोर्स से मिलवाते थे, ऐसा सीनियर मैंने नहीं देखा है।’ पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज के संयोजक अशोक सिंह ने कहा कि कलकत्ता की हिंदी पत्रकारिता में कृष्ण कुमार शाह ने हाशिए के लोगों को नायक बनाया। उनकी पत्रकारिता के बिना कलकत्ता की हिंदी पत्रकारिता का इतिहास नहीं लिखा जा सकता है। नाट्य निर्देशक केशव भट्टड़ ने कहा कि कृष्ण कुमार शाह अपनी सूचनाएँ साझा करते थे। उन्होंने मेरे लेखन का हौसला बढ़ाया।

सभा के अध्यक्ष विश्वम्भर नेवर ने कहा, ‘मेरे पत्रकारिता के पेशे के शुरुआती दिनों में दोनों मेरे शिक्षक थे। सुधीर उपाध्याय ने फोटोग्राफी की व्यावसायिक उपयोगिता के बारे में बताया। रिपोर्टिंग में कृष्ण कुमार शाह को गुरु मानता था।पहले पत्रकारों की इज्जत थी। दोनों के साथ पत्रकारिता मस्ती के साथ की।’

राजस्थान पत्रिका के स्थानीय संपादक विनीत शर्मा, मुरली चौधरी, सीताराम अग्रवाल, सेराज खाँ बातिश, रावेल पुष्प, शैलेन्द्र, प्रभाकर चतुर्वेदी, बिमल शर्मा और प्रभाकर मणि तिवारी ने श्रद्धांजलि दी।

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