West Bengal : सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राज्यपाल पर विधेयकों के अनुमोदन को लेकर दबाव बढ़ा रही तृणमूल

कोलकाता : राज्य सरकार की ओर से लाए गए विधायकों को राज्यपाल द्वारा नावश्यक रूप से लंबित नहीं रखने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस पर दबाव बनाने में जुट गई है। तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध शिक्षाविदों के एक मंच ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की सराहना की है जिसमें राज्य विधानसभा की ओर से पास किए यय विधायकों को राजभवन की ओर से लंबे समय तक नहीं रोकने को कहा गया है।

शीर्ष न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि राज्यपाल बिना किसी कार्रवाई के विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते। न्यायालय ने साथ ही कहा कि राज्य के गैर निर्वाचित प्रमुख के तौर पर राज्यपाल संवैधानिक शक्तियों से संपन्न होते हैं लेकिन वह उनका इस्तेमाल राज्यों के विधानमंडल द्वारा कानून बनाने की सामान्य प्रक्रिया को विफल करने के लिए नहीं कर सकते।

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इस पर तृणमूल कांग्रेस समर्थक शिक्षाविदों के मंच ‘एजुकेशनिस्ट फोरम’ ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी और निर्देश पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्यों पर लागू होते हैं। राज्य विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपतियों और वरिष्ठ प्रोफेसरों के संगठन ‘एजुकेशनिस्ट फोरम’ ने एक बयान में कहा, ‘‘पंजाब में विधानसभा द्वारा पारित और राज्यपाल के पास लंबित विधेयकों को लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्पष्ट रूप से पश्चिम बंगाल पर भी लागू होता है। इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप कानूनी कार्रवाई पश्चिम बंगाल के राज्यपाल द्वारा तुरंत की जानी चाहिए।’’

मंच ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार को उनके पास लंबित विभिन्न विधेयकों पर राज्यपाल से बात करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो पश्चिम बंगाल के लोगों की इच्छा के अनुरूप विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए।’’

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 22 विधेयकों की सूची जारी की है जिसे राज्यपाल की ओर से सहमति नहीं दी गई है। दूसरी और राज्यपाल डॉक्टर सी वी आनंद बोस ने कहा है कि जिन विधेयकों को लंबित रखा गया है उनमें स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। राज्य सरकार को इस बारे में पत्र लिखा गया है, लेकिन जवाब नहीं मिला है इसलिए विधेयक लंबित हैं।

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