पार्टी के विजया सम्मेलन में नहीं बुलाये जाने से नाराज तृणमूल विधायक ने कहा…

कोलकाता : मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर से भी‌ सत्तारूढ़ पार्टी ने दूरी बना ली है। पहले हिंदुओं को गंगा में बहाने और फिर डॉक्टरों को धमकी देने को लेकर विवादों में रहे हुमायूं को पार्टी के विजया सम्मेलन में बुलाया ही नहीं गया। इससे वह बेहद नाराज हैं। मंगलवार को भरतपुर के ब्लॉक अध्यक्षों द्वारा आयोजित तृणमूल के विजया सम्मेलन में हुमायूं को आमंत्रित नहीं किया गया। उनकी नाराज़गी इतनी बढ़ गई कि बुधवार को उन्होंने कहा, “बिरयानी खाने को लेकर मेरा कोई लोभ नहीं है।”

इस कार्यक्रम में बहरामपुर के सांसद यूसुफ पठान, तृणमूल के अन्य जिला नेताओं के साथ मौजूद थे, लेकिन हुमायूं कबीर इसमें नहीं आए। हुमायूं ने कहा, “इस आयोजन में बिरयानी का लोभ देकर लोगों को इकट्ठा किया गया था।” उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के प्रति भी नाराज़गी जताई। हुमायूं ने साफ़ कहा, “यह विजया सम्मेलन नहीं, बल्कि बिरयानी खाने का सम्मेलन था। क्योंकि, इन आयोजकों को मालूम था कि आम जनता इनके बुलावे पर नहीं आएगी, इसलिए बिरयानी का लालच देकर उन्हें बुलाया गया। मुझे बिरयानी में कोई लोभ नहीं है।”

हुमायूं ने यह भी आरोप लगाया कि सम्मेलन के लिए जिन पोल्ट्री फार्मों से चिकन लिया गया, वहां के व्यापारियों पर दबाव डालकर 20 प्रतिशत की छूट पर मांस खरीदा गया।

हुमायूं कबीर की टिप्पणियां पहले भी कई बार तृणमूल के लिये असुविधाजनक स्थिति पैदा कर चुकी हैं। उन्हें अनुशासनहीनता के लिए शोकॉज नोटिस भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी बेबाकी नहीं छोड़ी। भरतपुर-2 ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष और मुर्शिदाबाद जिला परिषद के कर्माध्यक्ष, मोस्ताफिजुर रहमान सुमन ने कहा, “विजया सम्मेलन में न बुलाने की परंपरा हुमायूं कबीर ने ही शुरू की। 20 अक्टूबर को उन्होंने अपने समर्थकों के साथ अलग से एक विजया सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें पंचायत समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित त्रिस्तरीय पंचायत के शीर्ष नेतृत्व को नहीं बुलाया गया था। इसलिए इस बार के सम्मेलन में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया।”

तृणमूल के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि हुमायूं कबीर ने पहले भरतपुर के बिजया सम्मेलन में जिला नेतृत्व और सांसद यूसुफ पठान को शामिल न होने के लिए दबाव बनाया था। हालांकि, पार्टी के ब्लॉक अध्यक्षों द्वारा आयोजित सम्मेलन में शीर्ष नेतृत्व और सांसद ने राज्य नेतृत्व की अनुमति से हिस्सा लिया। हुमायूं ने इस पर कहा, “मैंने अनुरोध किया था कि मुझे अपमानित न किया जाए और ब्लॉक अध्यक्ष के बुलावे पर सांसद उस कार्यक्रम में हिस्सा न लें। लेकिन मुझे नजरअंदाज किया गया।”

आखिर में हुमायूं ने चेतावनी देते हुए कहा, “मुर्शिदाबाद की राजनीति में फिर से मेरी जरूरत पड़ेगी। उस दिन मैं दिखा दूंगा कि किसमें कितना दम है।”

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