कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के महासचिव पद से हटाए जाने के बाद तृणमूल के पूर्व प्रवक्ता कुणाल घोष ने पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार कर लिया है। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि पार्टी को 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले ही स्कूल भर्ती घोटाले के बारे में पता था।
तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले घोष का पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाला यह बयान मौजूदा लोकसभा चुनावों के बीच आया है, क्योंकि चुनाव में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बन गया है। घोष को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक लोकसभा उम्मीदवार तापस रॉय के साथ मंच साझा करने और उनकी प्रशंसा करने के कुछ घंटे बाद पद से हटा दिया गया।
घोष ने कहा, ”पार्टी इस तथ्य से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि स्कूल शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और नौकरियों के बदले जबरन वसूली हो रही है। पार्टी को 2021 के विधानसभा चुनावों से पहले ही इसकी जानकारी थी।” घोष अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए अधिक तवज्जो की मांग कर रहे थे और उनकी तृणमूल में पुराने नेताओं के साथ खींचतान चल रही थी। उन्होंने कहा कि ‘‘व्यापक भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी के कारण पार्थ चटर्जी को 2021 में पार्टी के लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद शिक्षा मंत्रालय से उद्योग विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था।”
घोष की यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार संचालित और सहायता प्राप्त विद्यालयों में राज्य-स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया को अमान्य” घोषित करने के एक सप्ताह बाद आई है। अदालत ने उसके माध्यम से की गई सभी नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था। अदालत के आदेश के बाद करीब 26 हजार लोगों की नौकरियां चली गईं। तृणमूल नेतृत्व ने कहा था कि 2022 में चटर्जी की गिरफ्तारी होने तक पार्टी को घोटाले की जानकारी नहीं थी। तृणमूल नेता पार्थ चटर्जी को एसएससी घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से भी हटा दिया गया था।