कोलकाता : पश्चिम बंगाल में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अब सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस से किसी भी तरह से बातचीत नहीं करेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एक दिन पहले बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि बंगाल में कांग्रेस या अन्य दलों यानी लेफ्ट को एक भी सीट नहीं दी जाएगी।
उक्त नेता ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि तृणमूल बंगाल में राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उसके बावजूद कांग्रेस की ओर से बातचीत की पेशकश लगातार होती रही है। दोनों दलों ने अपनी अपनी ओर से शीर्ष नेताओं को बातचीत के लिए अधिकृत किया था। तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्य अध्यक्ष सुब्रत बख्सी कमान संभाल रहे थे जबकि कांग्रेस की ओर से दीपा दास मुंशी और अन्य नेताओं को प्रभार मिला था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सलाह पर बातचीत को आगे बढ़ाया गया था। अकेले मालदा में कांग्रेस को दो सीटें देने को तृणमूल तैयार थी जहां 2019 में कांग्रेस केवल एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी। मुर्शिदाबाद के बहरमपुर, जहां से अधीर रंजन चौधरी सांसद हैं, उस सीट को भी छोड़ने के लिए पार्टी तैयार थी लेकिन कांग्रेस अपना दबाव बढ़ाते जा रही थी और सीटों की संख्या कई गुना बढ़ा रही थी। इसलिए ममता बनर्जी ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की थी और अब यह तय है कि कांग्रेस से इस मामले में कोई बातचीत नहीं होगी। राज्य में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारा जाएगा।
हालांकि राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले का असर इंडी गठबंधन में शामिल कांग्रेस और माकपा के साझा उम्मीदवारों के साथ-साथ तृणम की उम्मीदवारी पर भी होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है जो इस बार राज्य में कम से कम 35 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। 2019 के चुनाव में राज्य के 42 में से 18 सीटों पर भाजपा जीत गई थी। जबकि तृणमूल 22 पर और कांग्रेस दो सीटों पर सिमट गई थी।