कोलकाता : दिल्ली पुलिस के साइबर अपराध शाखा के अधिकारी बनकर कोलकाता की एक युवती से 66 लाख 26 हजार रुपये की ठगी करने का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने सियालदह के एक होटल से दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपितों के नाम धनजी जगन्नाथ शिंदे और विनोद कोनदिबा पवार हैं। दोनों आरोपित मुंबई के निवासी हैं।
करीब एक महीने पहले युवती को फोन कर आरोपितों ने खुद को दिल्ली पुलिस के साइबर अपराध शाखा का अधिकारी बताया। उन्होंने युवती को डराया कि उसके खिलाफ कई गंभीर शिकायतें दर्ज हैं। इन शिकायतों को सुलझाने के लिए 66 लाख 26 हजार रुपये की मांग की। गिरफ्तारी के डर से युवती ने उनकी बातों में आकर यह राशि ट्रांसफर कर दी।
जब युवती को ठगी का अहसास हुआ, तो उसने चारु मार्केट थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और पाया कि युवती के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था। इसके बाद पुलिस ने सियालदह के एक होटल में छापेमारी कर दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपितों के पास से तीन मोबाइल, एक सिम कार्ड, और बैंक के कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
पुलिस ने पता लगाया कि ठगी की रकम धनजी के बैंक खाते में जमा की गई थी। विनोद इस पूरे षड्यंत्र में उसका सहयोगी था।
साइबर अपराध से बचने की अपील
बुधवार को पुलिस ने इस घटना के बाद आम जनता से सतर्क रहने की अपील की है। संदेहास्पद फोन कॉल्स के मामले में तुरंत पुलिस को सूचना देने की सलाह दी गई है।
दरअसल साइबर अपराधी कभी पुलिस अधिकारी बनकर, कभी ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग या कस्टम विभाग का अधिकारी बनकर लोगों को ठगने का प्रयास करते हैं। इन अपराधियों का तरीका ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का भय दिखाकर पैसे वसूलने का होता है। पुलिस और जांच एजेंसियां इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए लगातार प्रचार कर रही हैं और बता रही हैं कि ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ जैसी कोई चीज़ नहीं होती। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि साइबर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सतर्कता और जागरूकता ही इन अपराधों से बचने का उपाय है।