कोलकाता : कोलकाता पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ के खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं। बुधवार को दक्षिण कोलकाता के कसबा स्थित जिला स्कूल निरीक्षक (डीआई) कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दो में से एक मामला स्वप्रेरित (सुयो मोटो) दर्ज किया गया है, जबकि दूसरा मामला जिला स्कूल निरीक्षक कार्यालय की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर हुआ है।
प्रदर्शन कर रहे सभी लोग कथित तौर पर “योग्य” अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन से मांग की कि “दागी” उम्मीदवारों से उन्हें अलग किया जाए। “दागी” उम्मीदवारों पर पैसे देकर नियुक्ति पाने का आरोप है।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की पूरी सूची को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार और आयोग की “वास्तविक” और “दागी” उम्मीदवारों के बीच फर्क करने में विफलता को इसका कारण बताया था।
बुधवार को जब प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड्स हटाकर और मुख्य द्वार का ताला तोड़कर कार्यालय में घुसने की कोशिश कर रहे थे, तब हालात बेकाबू हो गए। इसके बाद पुलिस ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज किया।
हालांकि, राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु, मुख्य सचिव और कोलकाता पुलिस कमिश्नर ने पुलिस कार्रवाई को उचित ठहराया। पुलिस कमिश्नर ने इसे “हल्की कार्रवाई” बताते हुए कहा कि यह कदम हालात को बिगड़ने से रोकने के लिए उठाया गया।
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दो मामले दर्ज होने की खबर सामने आने के बाद राज्य सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई है। भाजपा और माकपा के नेताओं ने सरकार को “संवेदनहीन” करार देते हुए तीखी आलोचना की है। खबर लिखे जाने तक तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी।