लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े-बड़े दावे करने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा.संजय निषाद लोकसभा चुनाव में अपने बेटों तक को नहीं जीता पाये। लखनऊ की राजनीति में दोनों राजनीतिक पार्टियों की क्षमता और चुनाव में मिली हार की चर्चा आम है।
घोसी सीट पर सुभासपा के प्रत्याशी अरविन्द राजभर और संत कबीर नगर सीट पर भाजपा से चुनाव लड़ रहें प्रवीण निषाद को करारी हार मिली है। दोनों ही हारे हुए प्रत्याशी अपने राजनीतिक चेहरों के पुत्र हैं। सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविन्द राजभर हैं, तो वहीं निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद हैं।
घोसी में सपा प्रत्याशी राजीव राय ने सुभासपा के प्रत्याशी अरविन्द राजभर को एक लाख 62 हजार 943 वोटों के अंतर से हराया है। वहीं भाजपा के प्रत्याशी के रुप में लड़ रहे प्रवीण निषाद को सपा प्रत्याशी लक्ष्मीकांत पप्पू निषाद ने 92 हजार 170 वोटों से हराया है। चुनाव में अरविन्द और प्रवीण की बड़ी हार मानी जा रही है। ऐसे में दोनों प्रत्याशियों की राजनीतिक क्षमता तो कम आंका जा रहा है लेकिन उन दोनों के पिता की क्षमता को बड़ा बताया जाता है।
निषाद पार्टी और सुभासपा के अध्यक्षों को उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री पद प्राप्त है। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री पर दबाव बनाकर दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को मंत्री पद दिलाया गया था। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद इस वक्त मत्स्य विभाग के मंत्री है। इसी तरह सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बड़े विभागों पंचायती राज, अल्पसंख्यक, वक्फ व हज के मंत्री है। दोनों बड़े राजनीतिज्ञों संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर को समीकरण बनाने और बिगाड़ने वाले नेता माना जाता हैं, फिर भी दोनों ही अपने बेटों को विजयी बनाने में विफल रहे।